Skip to content

आधुनिक काल

विश्वप्रकाश ‘कुसुम’ की रचनाएँ

आलू-गोभी! दावत ने है मन ललचाया! क्या लोगे तुम आलू-गोभी? क्या खाओगे आलू-गोभी? गोभी का है स्वाद बढ़ाया! सबकी यही पुकार-आलू-गोभी सब करते तकरार-आलू-गोभी! जैसी… Read More »विश्वप्रकाश ‘कुसुम’ की रचनाएँ

विश्वनाथप्रसाद तिवारी की रचनाएँ

मनुष्यता का दुःख  पहली बार नहीं देखा था इसे बुद्ध ने इसकी कथा अनन्त है कोई नहीं कह सका इसे पूरी तरह कोई नहीं लिख… Read More »विश्वनाथप्रसाद तिवारी की रचनाएँ

विश्वनाथ शर्मा की रचनाएँ

वंदे मातरम् क़ौम के ख़ादिम की है जागीर वंदे मातरम्, मुल्क के है वास्ते अकसीर वंदे मातरम्। ज़ालिमों को है उधर बंदूक अपनी पर ग़रूर,… Read More »विश्वनाथ शर्मा की रचनाएँ

विश्वनाथ प्रताप सिंह की रचनाएँ

मुफ़लिस  मुफ़लिस से अब चोर बन रहा हूँ मैं पर इस भरे बाज़ार से चुराऊँ क्या यहाँ वही चीजें सजी हैं जिन्हे लुटाकर मैं मुफ़लिस… Read More »विश्वनाथ प्रताप सिंह की रचनाएँ

विश्वदेव शर्मा की रचनाएँ

किताब कैसी अचरज़ भरी किताब! इसका कोई नहीं जवाब! कविता और कहानी हैं- तसवीरें लासानी हैं! भूत-प्रेत है, नानी हैं, कितने राजा रानी हैं! कितनी… Read More »विश्वदेव शर्मा की रचनाएँ

विशाल श्रीवास्तवकी रचनाएँ

बस्ता बस्ते में बच्चे रख रहे हैं ताज़ा उगी सुबह की धूप का टुकड़ा जैसे वे अपनी किताबों को किसी अदृश्य अधेरे से बचाना चाहते… Read More »विशाल श्रीवास्तवकी रचनाएँ

विशाल समर्पित की रचनाएँ

तुम जैसा मनमीत नहीं है कसम खुदा की खाकर कहता तुम जैसा मनमीत नहीं है जितनी सुन्दर तुम हो उतना, सुन्दर मेरा गीत नहीं है… Read More »विशाल समर्पित की रचनाएँ

विशाखा विधु की रचनाएँ

तेरी बस्ती का मंज़र देखती हूँ  तेरी बस्ती का मंजर देखती हूँ तबाही आज घर-घर देखती हूँ। बज़ाहिर मोम का पैकर है लेकिन वो अंदर… Read More »विशाखा विधु की रचनाएँ

विवेक तिवारी की रचनाएँ

इस धरती पर इस धरती पर किसी जगह एक रंग-बिरंगी अनन्त जिजीविषा से परिपूर्ण कोई खुशबू कोई मासूमियत और कोई मुस्कान जब अपने भीतर की… Read More »विवेक तिवारी की रचनाएँ

विवेक निराला की रचनाएँ

अभिधा की एक शाम नरबलि एक छोटी शाम जो लम्बी खिंचती जाती थी बिल्कुल अभिधा में। रक्ताभा लिए रवि लुकता जाता था। लक्षणा के लद… Read More »विवेक निराला की रचनाएँ