Skip to content

आधुनिक काल

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

अघायी औरतें मर्दों के शहर की अघायी औरतें जब उतारू हो जाती हैं विद्रोह पर तो कर देती हैं तार-तार सारी लज्जा की बेड़ियों को… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

वंदना गुप्ता की रचनाएँ

देखो आज मुझे मोहब्बत के हरकारे ने आवाज़ दी है  सोचती हूँ कभी कभी तुम जिसे मैंने देखा नहीं और मैं जिसे तुमने भी नहीं… Read More »वंदना गुप्ता की रचनाएँ

कुमार सौरभ की रचनाएँ

लाज़िम है न्याय की सबसे ऊँची कुर्सियों पर बैठते हैं इसलिए माननीय हैं लेकिन आलोचना से परे कब हो गये? नीयत सही हो तो भरोसा… Read More »कुमार सौरभ की रचनाएँ

कुमार सुरेश की रचनाएँ

गर्मी के दिनों में गर्मी के दिनों में जंगल के बीचों बीच सुनसान सड़क पर एक विशाल पेड़ के पास ठहर कर सुना ज़ोरों से… Read More »कुमार सुरेश की रचनाएँ

वंदना केंगरानी की रचनाएँ

प्यार पर बहुत हो चुकी कविताएँ  प्यार पर बहुत हो चुकी कविताएँपिता की फटी बिवाइयों परअभी तक नहीं लिखी कविताएँजो रिश्ता ढूँढ़ते-ढूँढ़ते टूटने पर कसकते… Read More »वंदना केंगरानी की रचनाएँ

कुमार वीरेन्द्र की रचनाएँ

अउर का  अक्सर देखता बाबा को चलते-चलते राह-डरार से बतियाते; कहीं करहा में, हरी दिख जाएँ दूबें, उन्हें छूते, हालचाल पूछते; लौटते बखत कवन-कवन तो… Read More »कुमार वीरेन्द्र की रचनाएँ

कुमार विश्वास की रचनाएँ

कोई दीवाना कहता है (कविता)  कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर… Read More »कुमार विश्वास की रचनाएँ

कुमार विमलेन्दु सिंह की रचनाएँ

वांछित क्रान्ति तुम उस स्थान से जो समतल से थोड़ा ऊपर है और जहाँ तुम्हारा स्थित होना एक संयोग मात्र है करना चाहते हो निर्णायक… Read More »कुमार विमलेन्दु सिंह की रचनाएँ

कुमार विनोद की रचनाएँ

कभी लिखता नहीं दरिया, फ़क़त कहता ज़बानी है  कभी लिखता नहीं दरिया, फ़क़त कहता ज़बानी है कि दूजा नाम जीवन का रवानी है, रवानी है… Read More »कुमार विनोद की रचनाएँ

कुमार विजय गुप्त की रचनाएँ

एक अकेला अंगूठा एक अकेले अंगूठे ने वसीयत कर दी सारी अंगूठियां उंगलियों के नाम रोका, गालों पे लुढ़कते हुए आंसू की असंख्य बूंदों को… Read More »कुमार विजय गुप्त की रचनाएँ