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आधुनिक काल

रसिकबिहारी की रचनाएँ

गहगह साज समाज-जुत, अति सोभा उफनात गहगह साज समाज-जुत, अति सोभा उफनात। चलिबे को मिलि सेज-सुख, मंगल-मुदमय-रात॥ रही पालती पहकि लहै, सेवत कोटि अभंग। करो… Read More »रसिकबिहारी की रचनाएँ

रसिक दास की रचनाएँ

जय जय श्री वल्लभ प्रभु श्री विट्ठलेश साथे जय जय श्री वल्लभ प्रभु श्री विट्ठलेश साथे। निज जन पर कर कॄपा धरत हाथ माथे। दोस… Read More »रसिक दास की रचनाएँ

‘रसा’ चुग़ताई की रचनाएँ

अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था  अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था आईना बख़्त में समंदर था सर-गुजिश्‍त-ए-हवा में लिखा है आसमाँ रेत का समंदर था किस… Read More »‘रसा’ चुग़ताई की रचनाएँ

रसनिधि की रचनाएँ

दोहा / भाग 1 लखत सरस सिंधुर वदन, भालथली नखतेस। बिघन-हरन मंगल-करन, गौरी-तनय गनेस।।1।। नमो प्रेम-परमारथी, इहि जाचत हों तोहि। नन्दलाल के चरन कौं, दे… Read More »रसनिधि की रचनाएँ

रसखान की रचनाएँ

मानुस हौं तो वही मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद… Read More »रसखान की रचनाएँ

रश्मि शर्मा की रचनाएँ

वो नहीं भूलती अपनी अँगूठी कहीं रखकर भूल गई भूल जाती है अक्सर वो इन दिनों दराज़ की चाबी कहीं कभी गैस पर कड़ाही चढ़ाकर… Read More »रश्मि शर्मा की रचनाएँ

रश्मि भारद्वाज की रचनाएँ

एक अतिरिक्त अ-1 वे जो लय में नहीं, उनके सुर में नहीं मिला पाते अपनी आवाज़, उनमें भी दफ़न होता रहता है एक इतिहास जिसे… Read More »रश्मि भारद्वाज की रचनाएँ

रश्मि प्रभा की रचनाएँ

दर्द को हम बाँट लेंगे !!! तुम्हें क्या लगता है मुझे शाखों से गिरने का डर है तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कैसे लगता है… Read More »रश्मि प्रभा की रचनाएँ

‘रशीद’ रामपुरी की रचनाएँ

अहल-ए-नज़र की आँख में हुस्न की आबरू नहीं अहल-ए-नज़र की आँख में हुस्न की आबरू नहीं यानी ये गुल है काग़ज़ी रंग है जिस में… Read More »‘रशीद’ रामपुरी की रचनाएँ