तोरनदेवी ‘लली’की रचनाएँ
नवसंवत यही सोचती हूँ नवसंवत्! कैसी होंगी तेरी- वे नई लहर की घड़ियाँ। जब सबके हृदयों में होगा, सहज आत्म-अभिमान। जब सब भाँति प्रदर्शित होगा,… Read More »तोरनदेवी ‘लली’की रचनाएँ
नवसंवत यही सोचती हूँ नवसंवत्! कैसी होंगी तेरी- वे नई लहर की घड़ियाँ। जब सबके हृदयों में होगा, सहज आत्म-अभिमान। जब सब भाँति प्रदर्शित होगा,… Read More »तोरनदेवी ‘लली’की रचनाएँ
टेम्स का पानी टेम्स का पानी, नहीं है स्वर्ग का द्वार यहां लगा है, एक विचित्र माया बाज़ार! पानी है मटियाया, गोरे हैं लोगों के… Read More »तेजेन्द्र शर्मा की रचनाएँ
क्या मालूम है तुम्हें क्या मालूम है तुम्हें पर्दे के पीछे बेतरह रूठ गई है वह उसकी मात्राएँ झाँकती हैं अथाह हरे की सलों में… Read More »तेजी ग्रोवर की रचनाएँ
फूल वाला माल रोड़ के उस छोर पर बैठता है फूल बेचने वाला अविरल बहती छोटी नदी के किनारों से ढूँढ लया है तरह-तरह के… Read More »तेज राम शर्मा की रचनाएँ
छूटती चीज़ों के बीच छोड़ दिया तुमने भी जैसे कि सब चीज़ें छूट रही हैं नहीं थी पहले भी अब तो और भी नहीं है… Read More »तुषार धवल की रचनाएँ
दोहा / भाग 1 लोट चुकी जिस पर विकल, मोर मुकुट की नोक। जो जन-मन-मल शेक हर, दायक दिव्यालोक।।1।। जिसमें कसकीली भरी, परम रसीली हूल।… Read More »तुलसीराम शर्मा ‘दिनेश’की रचनाएँ
केशव,कहि न जाइ केशव , कहि न जाइ का कहिये । देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये । शून्य भीति पर चित्र ,रंग… Read More »तुलसीदास की रचनाएँ
बच्चा खा रहा है रोटी गा रहा है जाड़े की लम्बी रातों बाबा से सुना गीत कर रहा है शौच पत्थरों से खेलता मिट्टी पर… Read More »तुलसी रमण की रचनाएँ
लग जाए न कोई कलंक मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं है तुमने मुझे प्रेम के रूप में अपना विरह दिया और मैं पीने… Read More »तुलसी पिल्लई की रचनाएँ
इक बहाना है तुझे याद किए जाने का इक बहाना है तुझे याद किए जाने का कब सलीक़ा है मुझे वर्ना ग़ज़ल गाने का फिर… Read More »तुफ़ैल बिस्मिल की रचनाएँ