अरुण चन्द्र रॉय की रचनाएँ
ईश्वर और इन्टरनेट बाज़ार है सजा ईश्वर और इन्टरनेट दोनों का । ईश्वर और इन्टरनेट इक जैसे हैं ईश्वर विश्वव्यापी है इन्टरनेट भी कण-कण में… Read More »अरुण चन्द्र रॉय की रचनाएँ
ईश्वर और इन्टरनेट बाज़ार है सजा ईश्वर और इन्टरनेट दोनों का । ईश्वर और इन्टरनेट इक जैसे हैं ईश्वर विश्वव्यापी है इन्टरनेट भी कण-कण में… Read More »अरुण चन्द्र रॉय की रचनाएँ
कॉक्रोच जूतों और डिब्बों में छिप कर जीने का चलन तलुवों में रहने और डर-डर कर जीने की संस्कृति कॉक्रोच का जीना भी कोई जीना… Read More »अरुण कुमार नागपाल की रचनाएँ
उम्मीद आज तक मैं यह समझ नहीं पाया कि हर साल बाढ़ में पड़ने के बाद भी लोग दियारा छोड़कर कोई दूसरी जगह क्यों नहीं… Read More »अरुण कमल की रचनाएँ
अम्मा की चिट्ठी गाँवों की पगडण्डी जैसे टेढ़े अक्षर डोल रहे हैं अम्मा की ही है यह चिट्ठी एक-एक कर बोल रहे हैं अड़तालीस घंटे… Read More »अरुण आदित्य की रचनाएँ
आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है सय्याद सितम-गर मेरे पर खोल रहा है जामे से हवा जाता… Read More »अरशद अली ख़ान ‘क़लक़’ की रचनाएँ
रुकते हुए क़दमों का चलन मेरे लिए है रुकते हुए क़दमों का चलन मेरे लिए है सय्यारा-ए-हैरत की थकन मेरे लिए है मेरा कोई आहू… Read More »‘अरशद’ अब्दुल हमीद की रचनाएँ
अंगूठे बताओ, कहाँ मारना है ठप्पा कहाँ लगाने हैं निशान तुम्हारे सफ़ेद—धवल काग़ज़ पर हम उगेंगे बिल्कुल अंडाकार या कोई अद्भुत कलाकृति बनकर बगैर किसी… Read More »अरविन्द श्रीवास्तव की रचनाएँ
जाति का नाग मानवता का पाठ पिता ने उसे पढ़ाया पर स्कूल के फॉर्म में हिन्दू मुस्लिम का कॉलम आया फिर जाति का नाग धीरे… Read More »अरविन्द भारती की रचनाएँ
नए सपन सुंदर जोड़ेंगे ख़ूब बढ़ेंगे शृंग चढ़ेंगे रोके-से हम नहीं रुकेंगे ख़ूब खिलेंगे ख़ूब फलेंगे बाधाओं से नहीं झुकेंगे ख़ूब पढ़ेंगे ख़ूब लिखेंगे अंधकार… Read More »अरविन्द पासवान की रचनाएँ
चीख़ कहता हूँ गानेवाली बुलबुल तभी एक पिंजरा लिए बढ़ आते हैं हाथ मैं कहता हूँ- कोई भी एक चिड़ि९या इतने में ही वे संभाल… Read More »अरविन्द चतुर्वेद की रचनाएँ