शकील बदायूँनी की रचनाएँ
सुब्ह का अफ़साना कहकर शाम से सुब्ह का अफ़साना कहकर शाम से खेलता हूं गर्दिशे-आय्याम[1]से उनकी याद उनकी तमन्ना, उनका ग़म कट रही है ज़िन्दगी… Read More »शकील बदायूँनी की रचनाएँ
सुब्ह का अफ़साना कहकर शाम से सुब्ह का अफ़साना कहकर शाम से खेलता हूं गर्दिशे-आय्याम[1]से उनकी याद उनकी तमन्ना, उनका ग़म कट रही है ज़िन्दगी… Read More »शकील बदायूँनी की रचनाएँ
दुख उसे जब पहली बार देखा लगा जैसे भोर की धूप का गुनगुना टुकड़ा कमरे में प्रवेश कर गया है अंधेरे बंद कमरे का कोना-कोना… Read More »अचल वाजपेयी की रचनाएँ
विश्वव्याप्ति कमल मध्य विलसति है नीलवर्ण विश्वव्याप्ति कमल मध्य विलसति है नीलवर्ण व्याघ्र चर्म वसन दिव्य सोभित सुखमान युगल चरण नूपुर धुनि कटि किंकिन अति… Read More »अचल कवि (अच्युतानंद) की रचनाएँ
तड़प अरे, मेरा करो अपहरण ले जाओ मुझे अपने यातना-शिविर में कुछ नहीं कहूंगा मैं करो जो कुछ भी करना है मेरे शरीर के साथ… Read More »अग्निशेखर की रचनाएँ
काले-सफ़ेद परोंवाला परिंदा और मेरी एक शाम यह नज़्म अधूरी है। अगर आपके पास उपलब्ध है तो कृपया इसे पूरा कर दें। बर्तन,सिक्के,मुहरें, बेनाम ख़ुदाओं… Read More »अख़्तर-उल-ईमान की रचनाएँ
आँधी में चराग़ जल रहे हैं आँधी में चराग़ जल रहे हैं क्या लोग हवा में पल रहे हैं ऐ जलती रूतो गवाह रहना हम… Read More »अख़्तर होश्यारपुरी की रचनाएँ
आज भी दश्त-ए-बला में आज भी दश्त-ए-बला में नहर पर पहरा रहा कितनी सदियों बाद मैं आया मगर प्यासा रहा क्या फ़ज़ा-ए-सुब्ह-ए-ख़ंदाँ क्या सवाद-ए-शाम-ए-ग़म जिस… Read More »‘अख्तर’ सईद खान की रचनाएँ
अगर हमारे ही दिल मे ठिकाना चाहिए था अगर हमारे ही दिल मे ठिकाना चाहिए था तो फिर तुझे ज़रा पहले बताना चाहिए था चलो… Read More »शकील जमाली की रचनाएँ
रोता है इस अँधेरे में इक रोशनियों का शहर रोता है इस अँधेरे में इक रोशनियों का शहर जहाँ धुप नहीं उगती जहाँ शाम नहीं… Read More »शक्ति बारैठ की रचनाएँ
मैना की शादी अमराई तो खूब सजी है मैना की है शादी, इसीलिए तो बगिया-बगिया कोयल करे मुनादी। पड़की, सुग्गा, श्यामा, बुलबुल इक से एक… Read More »शंभूलाल शर्मा ‘बसंत की रचनाएँ