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Komal Rajeshwari

रमेश कौशिक की रचनाएँ

भीतर-बाहर आदमी के भीतर एक आदमी है आदमी के बाहर एक आदमी है भीतर का आदमी जब बाहर आता है बाहर के आदमी से तुरन्त… Read More »रमेश कौशिक की रचनाएँ

रमेश कुंतल मेघ की रचनाएँ

रायपुर में मुक्तिबोध के घर जाने पर  सूरज का सोंधा भुना लालारुख कछुवा बिंधा भिलाई की चिमनियों से जलते-पकते कत्थई हो जाएगा अभी आगे राजनंदगाँव… Read More »रमेश कुंतल मेघ की रचनाएँ

रमेश ‘कँवल’की रचनाएँ

जुनूं हूँ, आशिकी हूँ जुनूं हूं, आशिक़ी हूं बशर हूं, बंदगी हूं ब-ज़ाहिर बेरुखी हूं वफ़ा की बेबसी हूं गुलों की ताज़गी हूं मैं शबनम… Read More »रमेश ‘कँवल’की रचनाएँ

रमेश आज़ाद की रचनाएँ

पहाड़ अब भी बूढ़े थे शहर से हलकान सुकून के लिए परेशान बना फिर फार्महाउस अपमानित हुए गांव के लोग। बहुरंगी परिवेश की तलाश में… Read More »रमेश आज़ाद की रचनाएँ

रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की रचनाएँ

इहवइ धरतिया हमार महतरिया  अमवा इमिलिया महुवआ की छइयाँ जेठ बैसखवा बिरमइ दुपहरिया धान कइ कटोरा मोरी अवध कइ जमिनिया धरती अगोरइ मोरी बरख बदरिया… Read More »रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की रचनाएँ

रमापति शुक्ल की रचनाएँ

बाबा जी की छींक घर-घर को चौंकाने वाली, बाबा जी की छींक निराली! लगता यहीं कहीं बम फूटा, या कि तोप से गोला छूटा! या… Read More »रमापति शुक्ल की रचनाएँ

रमानाथ अवस्थी की रचनाएँ

करूँ क्या  सुर सब बेसुरे हुए करूँ क्या ? उतरे हुए सभी के मुखड़े सबके पाँव लक्ष्य से उखड़े उखड़ी हुई भ्रष्ट पीढ़ी से विजय-वरण के… Read More »रमानाथ अवस्थी की रचनाएँ

रमा द्विवेदी की रचनाएँ

हर सांस बंदी है यहाँ कैसे करें उल्लास जब हर सांस बन्दी है यहाँ ? कैसे रचे इतिहास जब आकाश बन्दी है यहाँ? अंकुर अभी पनपा… Read More »रमा द्विवेदी की रचनाएँ

रमा तिवारी की रचनाएँ

दावत चिड़िया चावल लेकर आई, बिल्ली लाई दूध-मलाई। चीनी लाए चूहे राजा, और गिलहरी मेवे ताजा। तोता लेकर आा दोने, खीर पकाई खरगोशों ने। सारे… Read More »रमा तिवारी की रचनाएँ

रमणिका गुप्ता की रचनाएँ

स्पार्टाकस मैं अगर तुम्हें कहूँ कि ब्राह्मणत्व और मनुवाद का चक्रव्यूह तोड़ने के लिए तुम बनो अभिमन्यु— तो ग़लत होगा वह तो दो अभिजातों की… Read More »रमणिका गुप्ता की रचनाएँ