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Komal Rajeshwari

रमेश रंजक की रचनाएँ

यही बेहतर इधर दो फूल मुँह से मुँह सटाए बात करते हैं यहीं से काट लो रस्ता यही बेहतर हमें दिन इस तरह के रास… Read More »रमेश रंजक की रचनाएँ

रमेश प्रजापति की रचनाएँ

नंगी पीठ पर पहाड़ की नंगी पीठ पर बिखर जाते हैं टकराकर धरती पर मौसम तालाब की नंगी पीठ पर मौज़-मस्ती करते हैं जलपाखी सड़क… Read More »रमेश प्रजापति की रचनाएँ

रमेश पाण्डेय की रचनाएँ

लिफ़ाफ़े के भीतर लिफ़ाफ़े के भीतर तुम्हारी चिट्ठी मिली लिफ़ाफ़े के भीतर एक दूसरा लिफ़ाफ़ था उस पर एक नाम लिखा था गाँव का नाम,… Read More »रमेश पाण्डेय की रचनाएँ

रमेश नीलकमल की रचनाएँ

हो वसन्त! अँखियन में लउकता बबूल हो वसन्त! जनि अइहऽ गाँव का सिवाना पर। अभिये नू खेत के फसल हरियर पाला से सहमल झऊँसाइल बा,… Read More »रमेश नीलकमल की रचनाएँ

रमेश तैलंग की रचनाएँ

महाश्वेता क्या लिखती हैं महाश्वेवता गल्प नहीं लिखतीं । महाश्वेता रचती हैं आदिम समाज की करुणा का महासंगीत । वृक्षों की, वनचरों की, लोक की… Read More »रमेश तैलंग की रचनाएँ

रमेश तन्हा की रचनाएँ

इक चमकते हुए अहसास की जौदत हूँ मैं इक चमकते हुए अहसास की जौदत हूँ मैं देख ले जो पसे-पर्दा वो बसीरत हूँ मैं। ऐ… Read More »रमेश तन्हा की रचनाएँ

रमेश चंद्र पंत की रचनाएँ

बसी हैं नागफनियाँ अब कहाँ वे फूल गमलों में लगी हैं नागफनियाँ ! मन हुआ जंगल सभी कुछ बेतरह बिखरा लग रहा चेहरा नदी का इन… Read More »रमेश चंद्र पंत की रचनाएँ

रमेश गौड़ की रचनाएँ

तेरे बिन  जैसे सूखा ताल बचा रहे या कुछ कंकड़ या कुछ काई जैसे धूल भरे मेले में चलने लगे साथ तन्हाई, तेरे बिन मेरे… Read More »रमेश गौड़ की रचनाएँ

रमेश कौशिक की रचनाएँ

भीतर-बाहर आदमी के भीतर एक आदमी है आदमी के बाहर एक आदमी है भीतर का आदमी जब बाहर आता है बाहर के आदमी से तुरन्त… Read More »रमेश कौशिक की रचनाएँ

रमेश कुंतल मेघ की रचनाएँ

रायपुर में मुक्तिबोध के घर जाने पर  सूरज का सोंधा भुना लालारुख कछुवा बिंधा भिलाई की चिमनियों से जलते-पकते कत्थई हो जाएगा अभी आगे राजनंदगाँव… Read More »रमेश कुंतल मेघ की रचनाएँ