अमरेन्द्र की रचनाएँ
जन्म खण्ड / गेना जों बसन्त मेँ गाछी के ठारी सेँ निकलै टूसाचतुरदशी के बाद सरँग मेँ विहँसै चान समूचाबितला शैशव पर जों आबै मारलेॅ… Read More »अमरेन्द्र की रचनाएँ
जन्म खण्ड / गेना जों बसन्त मेँ गाछी के ठारी सेँ निकलै टूसाचतुरदशी के बाद सरँग मेँ विहँसै चान समूचाबितला शैशव पर जों आबै मारलेॅ… Read More »अमरेन्द्र की रचनाएँ
कुछ फुटकर शे’र होने को तो है अब भी वही हुस्न, वही इश्क़। जो हर्फ़े-ग़लत होके मिटा नक़्शे-वफ़ा था॥ पिन्हाँ नज़र से पर्द-ए-दिल में रहा… Read More »अमरनाथ साहिर की रचनाएँ
मैं बहुत खुश हूँ अगर लौटने पर शेष हैया कुछ कि मेरे बाद कितनादेखना है इस गली मेंकौन किसको याद कितनाया खिलौने जो कि बचपन… Read More »अमरनाथ श्रीवास्तव की रचनाएँ
पता नहीं पता नहीं कितनी प्यास थी उसके भीतर कि मैं जिसे अपने समुद्रों पर बहुत गर्व था उसके सामने पानी का एक छोटा-सा क़तरा… Read More »अमरजीत कौंके की रचनाएँ
क्षणिकाएँ बोरसी पुसोॅ मेॅ कोहोॅ के आगू रात भर डरी-डरी जलै छै बोरसी सोची केॅ सब केॅ जाड़ोॅ सेॅ बचौइयै कि खुद केॅ । परिवार… Read More »अमन चाँदपुरी की रचनाएँ
नालए-जाने-ख़स्ता जाँ नालए-जाने-ख़स्ता-जाँ[1], अर्शेबरींपै[2] जाये क्यों? मेरे लिए ज़मीन पर साहबे-अर्श[3] आये क्यों? नूरे-ज़मीं-ओ-आसमाँ, दीदये-दिल में आये क्यों? मेरे सियाह-ख़ाने में कोई दिया जलाये क्यों? ज़ख़्म को… Read More »अमजद हैदराबादी की रचनाएँ
आईनों में अक्स न हों तो आईनों में अक्स न हों तो हैरत रहती है जैसे ख़ाली आँखों में भी वहशत रहती है हर दम… Read More »अमजद इस्लाम अमजद की रचनाएँ
अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी है अब इख़्तियार में मौजें न ये रवानी है मैं बह रहा हूँ कि मेरा वजूद पानी है… Read More »अभिषेक शुक्ला की रचनाएँ
मुझको रोज़ाना नए ख़्वाब दिखाने वाले मुझको रोज़ाना नए ख़्वाब दिखाने वाले। बेवफ़ा कहते हैं तुझको ये ज़माने वाले। तू सलामत रहे मंज़िल पे पहुंचकर… Read More »अभिषेक कुमार अम्बर की रचनाएँ
सुनो नवागत, सुनो नवागत सुनो! नवागत, सुनो! नवागत आने से पहले, कुछ शर्तें हैं मेरी कलश गिराने से पहले। गंतव्यों से पहले बातें मंतव्यों की… Read More »अभिषेक औदिच्य की रचनाएँ