ज़ौक़ की रचनाएँ
इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता इस तपिश[1] का है मज़ा दिल ही को हासिल होता काश, मैं इश्क़ में सर-ता-ब-क़दम[2] दिल होता… Read More »ज़ौक़ की रचनाएँ
इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता इस तपिश[1] का है मज़ा दिल ही को हासिल होता काश, मैं इश्क़ में सर-ता-ब-क़दम[2] दिल होता… Read More »ज़ौक़ की रचनाएँ
मैं तनहा हूँ , नहीं भी हूँ मैं तनहा हूँ , नहीं भी हूँ के मेरा ज़हन खाली एक पल को भी नहीं रहता न… Read More »ज़ैदी जाफ़र रज़ा की रचनाएँ
इक पीली चमकीली चिड़िया काली आँख नशीली-सी इक पीली चमकीली चिड़िया काली आँख नशीली-सी । बैठी है दरिया के किनारे मेरी तरह अकेली-सी ।… Read More »ज़ेब गौरी की रचनाएँ
ख़ुद को दुनिया में जो राज़ी-ब-रज़ा कहते हैं ख़ुद को दुनिया में जो राज़ी-ब-रज़ा कहते हैं अपनी हस्ती से वो इक बात सिवा कहते हैं… Read More »ज़ेब उस्मानिया की रचनाएँ
दूर तक इक सराब देखा है दूर तक इक सराब देखा है वहशतों का शबाब देखा है ज़ौ-फ़िशाँ क्यूँ है दश्त के ज़र्रे क्या कोई… Read More »ज़ुल्फ़िकार नक़वी की रचनाएँ
आँखों में है बसा हुआ तूफ़ान देखना आँखों में है बसा हुआ तूफ़ान देखना निकले हैं दिल से यूँ मिरे अरमान देखना भूला हूँ जिस… Read More »ज़ुबैर फ़ारूक़ की रचनाएँ
आईने के आख़िरी इज़हार में आईने के आख़िरी इज़हार में मैं भी हूँ शाम-ए-अबद-आसार में देखते ही देखते गुम हो गई रौशनी बढ़ती हुई रफ़्तार… Read More »ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क की रचनाएँ
क्या सरोकार अब किसी से मुझे क्या सरोकार अब किसी से मुझे वास्ता था तो था तुझी से मुझे बे-हिसी का भी अब नहीं एहसास… Read More »ज़िया जालंधरी की रचनाएँ
तख़ईल का दर खोले हुए शाम खड़ी है तख़ईल का दर खोले हुए शाम खड़ी है गोया कोई तस्वीर ख़यालों में जड़ी है हर मंज़र-ए-इदराक… Read More »ज़ाहिदा जेदी की रचनाएँ
हम्द हम्द[1] रोज़-ए-अज़ल[2] से रोज़-ए-अबद[3] तक इंसाँ की तक़दीर हो तुम हर तौक़ीर[4] तुम्हारी बख़्शिश[5] इल्म [6]की हर तहरीर[7] हो तुम सहराओं में पानी हर बूँद तुम्हारी ही ने’मत और दरिया… Read More »ज़ाहिद अबरोल की रचनाएँ