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आधुनिक काल

जाँ निसार अख़्तर की रचनाएँ

उफ़ुक़ अगरचे पिघलता दिखाई पड़ता है उफ़ुक़ अगरचे पिघलता दिखाई पड़ता है मुझे तो दूर सवेरा दिखाई पड़ता है हमारे शहर में बे-चेहरा लोग बसते… Read More »जाँ निसार अख़्तर की रचनाएँ

ज़ौक़ की रचनाएँ

इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता इस तपिश[1] का है मज़ा दिल ही को हासिल होता काश, मैं इश्क़ में सर-ता-ब-क़दम[2] दिल होता… Read More »ज़ौक़ की रचनाएँ

ज़ैदी जाफ़र रज़ा की रचनाएँ

मैं तनहा हूँ , नहीं भी हूँ मैं तनहा हूँ , नहीं भी हूँ के मेरा ज़हन खाली एक पल को भी नहीं रहता न… Read More »ज़ैदी जाफ़र रज़ा की रचनाएँ

ज़ेब गौरी की रचनाएँ

इक पीली चमकीली चिड़िया काली आँख नशीली-सी ‎ इक पीली चमकीली चिड़िया काली आँख नशीली-सी । बैठी है दरिया के किनारे मेरी तरह अकेली-सी ।… Read More »ज़ेब गौरी की रचनाएँ

ज़ेब उस्मानिया की रचनाएँ

ख़ुद को दुनिया में जो राज़ी-ब-रज़ा कहते हैं ख़ुद को दुनिया में जो राज़ी-ब-रज़ा कहते हैं अपनी हस्ती से वो इक बात सिवा कहते हैं… Read More »ज़ेब उस्मानिया की रचनाएँ

ज़ुल्फ़िकार नक़वी की रचनाएँ

दूर तक इक सराब देखा है दूर तक इक सराब देखा है वहशतों का शबाब देखा है ज़ौ-फ़िशाँ क्यूँ है दश्त के ज़र्रे क्या कोई… Read More »ज़ुल्फ़िकार नक़वी की रचनाएँ

ज़ुबैर फ़ारूक़ की रचनाएँ

आँखों में है बसा हुआ तूफ़ान देखना आँखों में है बसा हुआ तूफ़ान देखना निकले हैं दिल से यूँ मिरे अरमान देखना भूला हूँ जिस… Read More »ज़ुबैर फ़ारूक़ की रचनाएँ

ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क की रचनाएँ

आईने के आख़िरी इज़हार में आईने के आख़िरी इज़हार में मैं भी हूँ शाम-ए-अबद-आसार में देखते ही देखते गुम हो गई रौशनी बढ़ती हुई रफ़्तार… Read More »ज़िया-उल-मुस्तफ़ा तुर्क की रचनाएँ

ज़िया फतेहाबादी की रचनाएँ

ख़ुलूस-ओ वफ़ा का सिला पाइएगा ‎ ख़ुलूस-ओ वफ़ा का सिला पाइएगा । हुजूम-ए तमन्ना में खो जाइएगा । दिए जाएगा ग़म कहाँ तक ज़माना, कहाँ… Read More »ज़िया फतेहाबादी की रचनाएँ

ज़िया जालंधरी की रचनाएँ

क्या सरोकार अब किसी से मुझे क्या सरोकार अब किसी से मुझे वास्ता था तो था तुझी से मुझे बे-हिसी का भी अब नहीं एहसास… Read More »ज़िया जालंधरी की रचनाएँ