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आधुनिक काल

विकास शर्मा ‘राज़’की रचनाएँ

ज़र्द पेड़ों को हरे ख़्वाब दिखाना चाहें  ज़र्द पेड़ों को हरे ख़्वाब दिखाना चाहें रुत के बहरूप शिकारी तो निशाना चाहें हम तो मज़दूर हैं… Read More »विकास शर्मा ‘राज़’की रचनाएँ

‘वासिफ़’ देहलवी की रचनाएँ

बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम  बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम तुम आओगे तो जश्न-ए-चराग़ाँ करेंगे हम बाक़ी है ख़ाक-ए-कू-ए-मोहब्बत की तिश्नगी अपने लहू… Read More »‘वासिफ़’ देहलवी की रचनाएँ

‘वामिक़’ जौनपुरी की रचनाएँ

अभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है अभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है ये कम कि आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार बाक़ी है अभी तो शहर के खण्डरों में झाँकना है मुझे… Read More »‘वामिक़’ जौनपुरी की रचनाएँ

ख़ालिद महमूद की रचनाएँ

आँखों में धूप दिल में हरारत लहू की थी आँखों में धूप दिल में हरारत लहू की थी आतिश जवान था तो क़यामत लहू की… Read More »ख़ालिद महमूद की रचनाएँ

वाजिदा तबस्सुम की रचनाएँ

ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये ना आप का ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये ना आप का हो रहा है हर तरफ़… Read More »वाजिदा तबस्सुम की रचनाएँ

ख़ालिद कर्रार की रचनाएँ

बात ये है के कोई बात पुरानी भी नहीं  बात ये है के कोई बात पुरानी भी नहीं और इस ख़ाक में अब कोई निशानी… Read More »ख़ालिद कर्रार की रचनाएँ

वाजिद की रचनाएँ

पद कहियो जाय सलाम हमारी राम कूँ।नैण रहे झड लाय तुम्हारे नाम कूँ॥ कमल गया कुमलाय कल्याँ भी जायसी।हरि हाँ, ‘वाजिद’, इस बाडी में बहुरि… Read More »वाजिद की रचनाएँ

ख़ान-ए-आरज़ू सिराजुद्दीन अली की रचनाएँ

फलक ने रंज तीर आह से मेरे ज़ि-बस खेंचा फलक ने रंज तीर आह से मेरे ज़ि-बस खेंचा लबों तक दिल से शब नाले को… Read More »ख़ान-ए-आरज़ू सिराजुद्दीन अली की रचनाएँ

खलीलुर्रहमान आज़मी की रचनाएँ

नश्शा-ए-मय के सिवा कितने नशे और भी हैं नश्शा-ए-मय के सिवा कितने नशे और भी हैं कुछ बहाने मेरे जीने के लिए और भी हैं… Read More »खलीलुर्रहमान आज़मी की रचनाएँ

खगेंद्र ठाकुर की रचनाएँ

वे लेखक नहीं हैं  वे लिखते हैं लेकिन कागज पर नहीं वे लिखते हैं धरती पर वे लिखते हैं लेकिन कलम से नहीं वे लिखते… Read More »खगेंद्र ठाकुर की रचनाएँ