वरयाम सिंह की रचनाएँ
पसन्द अपनी-अपनी घोड़े ने ऊँट को देखा और हिनहिनाकर हँसा — ‘ऐसा बड़ा अनोखा होता है घोड़ा’ दिया ऊँट ने उत्तर— ‘तुम क्या घोड़े हो… Read More »वरयाम सिंह की रचनाएँ
पसन्द अपनी-अपनी घोड़े ने ऊँट को देखा और हिनहिनाकर हँसा — ‘ऐसा बड़ा अनोखा होता है घोड़ा’ दिया ऊँट ने उत्तर— ‘तुम क्या घोड़े हो… Read More »वरयाम सिंह की रचनाएँ
मुझको अच्छाई की ख़्वाहिश में कहाँ अच्छा मिला मुझको अच्छाई की ख़्वाहिश में कहाँ अच्छा मिला ज़िन्दगी की रोशनी में मौत का साया मिला सबको… Read More »कृष्ण ‘कुमार’ प्रजापति की रचनाएँ
वफ़ा भी, प्यार भी, नफरत भी, बदगुमानी भी वफ़ा भी, प्यार भी, नफरत भी, बदगुमानी भी है सबकी तह में हक़ीक़त भी और कहानी भी… Read More »कृष्ण कुमार ‘नाज़’ की रचनाएँ
आ गया सूरज धूप का बस्ता उठाए आ गया सूरज, बैल्ट किरणों की लगाए, आ गया सूरज! भोर की बुश्शर्ट पहने साँझ का निक्कर, दोपहर… Read More »कृष्ण कल्पित की रचनाएँ
अब सामने लाएँ आईना क्या अब सामने लाएँ आईना क्या हम ख़ुद को दिखाएँ आईना क्या ये दिल है इसे तो टूटना था दुनिया से… Read More »कृश्न कुमार ‘तूर’ की रचनाएँ
आज तक एक दिन तुम्हें कह बैठी सूरज जल रही मैं आज तक बर्फीले लोग सीली धरती रह गए तुम्हारे साथ उन अंधेरों को भी… Read More »वत्सला पाण्डे की रचनाएँ
सजदे में सिर के साथ दिल भी है झुका करिवर-बदन सजदे में सिर के साथ दिल भी है झुका करिवर-बदन अरदास है करिये अता मां… Read More »कृपाशंकर श्रीवास्तव ‘विश्वास’ की रचनाएँ
सीख्यो सब काम धन धाम को सुधारिबे को सीख्यो सब काम धन धाम को सुधारिबे को , सीख्यो अभिराम बाम राखत हजूर मैँ । सीख्यो… Read More »कृपाराम की रचनाएँ
रोटी रमुआ ने पूछा माँ तुम तोड़ती क्यों / पत्थर— क्यों चिलचिलाती / धूप में बरसते अंगारों के बीच बैठी हो चुप्पी साधे न छाया… Read More »कुसुम मेघवाल की रचनाएँ
ये बूंदे नहीं… बरस पड़े बादल टूट गया धीरज उतर पड़ा आसमान धरती को चूमने ये बूंदें नहीं होंठ हैं आसमान के जीवन घूंघर-घूंघर बरसती… Read More »कुसुम जैन की रचनाएँ