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कृश्न कुमार ‘तूर’

कृश्न कुमार ‘तूर’ की रचनाएँ

अब सामने लाएँ आईना क्या  अब सामने लाएँ आईना क्या हम ख़ुद को दिखाएँ आईना क्या ये दिल है इसे तो टूटना था दुनिया से… Read More »कृश्न कुमार ‘तूर’ की रचनाएँ