कृष्ण कल्पित की रचनाएँ
आ गया सूरज धूप का बस्ता उठाए आ गया सूरज, बैल्ट किरणों की लगाए, आ गया सूरज! भोर की बुश्शर्ट पहने साँझ का निक्कर, दोपहर… Read More »कृष्ण कल्पित की रचनाएँ
आ गया सूरज धूप का बस्ता उठाए आ गया सूरज, बैल्ट किरणों की लगाए, आ गया सूरज! भोर की बुश्शर्ट पहने साँझ का निक्कर, दोपहर… Read More »कृष्ण कल्पित की रचनाएँ
अब सामने लाएँ आईना क्या अब सामने लाएँ आईना क्या हम ख़ुद को दिखाएँ आईना क्या ये दिल है इसे तो टूटना था दुनिया से… Read More »कृश्न कुमार ‘तूर’ की रचनाएँ
सजदे में सिर के साथ दिल भी है झुका करिवर-बदन सजदे में सिर के साथ दिल भी है झुका करिवर-बदन अरदास है करिये अता मां… Read More »कृपाशंकर श्रीवास्तव ‘विश्वास’ की रचनाएँ
सीख्यो सब काम धन धाम को सुधारिबे को सीख्यो सब काम धन धाम को सुधारिबे को , सीख्यो अभिराम बाम राखत हजूर मैँ । सीख्यो… Read More »कृपाराम की रचनाएँ
रोटी रमुआ ने पूछा माँ तुम तोड़ती क्यों / पत्थर— क्यों चिलचिलाती / धूप में बरसते अंगारों के बीच बैठी हो चुप्पी साधे न छाया… Read More »कुसुम मेघवाल की रचनाएँ
ये बूंदे नहीं… बरस पड़े बादल टूट गया धीरज उतर पड़ा आसमान धरती को चूमने ये बूंदें नहीं होंठ हैं आसमान के जीवन घूंघर-घूंघर बरसती… Read More »कुसुम जैन की रचनाएँ
महब्बत क्या है ये सब पर अयां है महब्बत क्या है ये सब पर अयां है महब्बत ही ज़मीं और आसमां है ज़हे-क़िस्मत मुझे तुम… Read More »कुसुम ख़ुशबू की रचनाएँ
प्यारी के नयनाँ हैं जैसे कटारे प्यारी के नयनाँ हैं जैसे कटारे न सम उस के अंगे कोई हैं धारे असर तुज मोहब्बत का जिस… Read More »क़ुली ‘क़ुतुब’ शाह की रचनाएँ
वंदना (माँ शारदा की) वर दे … वर दे … वर दे। शतदल अंक शोभित, वर दे। मधुर मनोहर वीणा लहरी, राग स्रोत की छटा… Read More »कुलवंत सिंह की रचनाएँ
भक्तन को कहा सीकरी सों काम भक्तन को कहा सीकरी सों काम। आवत जात पन्हैया टूटी बिसरि गये हरि नाम॥ जाको मुख देखे अघ लागै… Read More »कुम्भनदास की रचनाएँ