विकास पाण्डेय की रचनाएँ
सड़कोॅ पर खेतोॅ रं तोंय चुप अनाज दौ बात नै लानोॅ सड़कोॅ पर चार जनां जे नपना बनलै धुय्यां उड़लै सड़कोॅ पर लाठी-सोंटा बम-तम फोड़ी… Read More »विकास पाण्डेय की रचनाएँ
सड़कोॅ पर खेतोॅ रं तोंय चुप अनाज दौ बात नै लानोॅ सड़कोॅ पर चार जनां जे नपना बनलै धुय्यां उड़लै सड़कोॅ पर लाठी-सोंटा बम-तम फोड़ी… Read More »विकास पाण्डेय की रचनाएँ
फिर से गिरवी मकान है शायद फिर से गिरवी मकान है शायद घर में बेटी जवान है शायद। ये लकीरें सी जो हैं चेहरे पर… Read More »विकास जोशी की रचनाएँ
हालात के लिहाज से ऊँचाइयाँ मिलीं हालात के लिहाज से ऊँचाइयाँ मिलीं लेकिन खुली किताब तो रुसवाइयाँ मिलीं ज़िन्दा नहीं रहा कोई लाशों की भीड़… Read More »विकास की रचनाएँ
ज़र्द पेड़ों को हरे ख़्वाब दिखाना चाहें ज़र्द पेड़ों को हरे ख़्वाब दिखाना चाहें रुत के बहरूप शिकारी तो निशाना चाहें हम तो मज़दूर हैं… Read More »विकास शर्मा ‘राज़’की रचनाएँ
बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम बुझते हुए चराग़ फ़रोजाँ करेंगे हम तुम आओगे तो जश्न-ए-चराग़ाँ करेंगे हम बाक़ी है ख़ाक-ए-कू-ए-मोहब्बत की तिश्नगी अपने लहू… Read More »‘वासिफ़’ देहलवी की रचनाएँ
अभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है अभी तो हौसला-ए-कारोबार बाक़ी है ये कम कि आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार बाक़ी है अभी तो शहर के खण्डरों में झाँकना है मुझे… Read More »‘वामिक़’ जौनपुरी की रचनाएँ
आँखों में धूप दिल में हरारत लहू की थी आँखों में धूप दिल में हरारत लहू की थी आतिश जवान था तो क़यामत लहू की… Read More »ख़ालिद महमूद की रचनाएँ
मेरे भी कुछ गिले थे मगर रात हो गई मेरे भी कुछ गिले थे मगर रात हो गईकुछ तुम भी कि रहे थे मगर रात… Read More »ख़ालिद मलिक ‘साहिल’ की रचनाएँ
ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये ना आप का ये भी क्या एहसान कम हैं देखिये ना आप का हो रहा है हर तरफ़… Read More »वाजिदा तबस्सुम की रचनाएँ
बात ये है के कोई बात पुरानी भी नहीं बात ये है के कोई बात पुरानी भी नहीं और इस ख़ाक में अब कोई निशानी… Read More »ख़ालिद कर्रार की रचनाएँ