जाने सूरज जलता क्यों है
जाने सूरज जलता क्यों है
इतनी आग उगलता क्यों है
रात हुई तो छुप जाता है
अंधियारे से डरता क्यों है
सुबह का निकला घर न आया
आवारा सा फ़िरता क्यों है
सुबह शाम और दोपहरी में
अपनें रंग बदलता क्यों है
अगर सुबह को फ़िर उगना है
तो फ़िर शाम को ढलता क्यों है
अर्थ जब खोने लगे
अर्थ जब खोने लगे
शब्द भी रोने लगे ।
जब वो आदमकद हुए
सब उन्हें बौने लगे ।
ज़ख्म न देखे गये जब
अश्रू से धोने लगे ।
एक जज़्बा था अभी तक
आप तो छूने लगे ।
कब तलक ये ख्वाब देखूँ
वो मेरे होने लगे ।
कब कहानी मोड़ ले ले
आप तो सोने लगे ।