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संध्या पेडणेकर

संध्या पेडणेकर की रचनाएँ

रिश्ते स्नेह नहीं शुष्क काम है लपलप वासना है क्षणभंगुर क्षण के बाद रीतनेवाली मतलब से जीतनेवाली रिश्तेदारी है खाली घड़े हैं अनंत पड़े हैं… Read More »संध्या पेडणेकर की रचनाएँ