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अब्दुर्रहमान

अब्दुर्रहमान की रचनाएँ

वर्षा  इमि तपिअउ बहु ग्रीष्म सकौं कस बोलियऊ। पथिक! आव पुनि पावस ढीठ न आव पियऊ । चौदिसि घोरंधार छाय गउ गरुअ-भरो। गगन-कुहर घुरघुरै सरोषउ… Read More »अब्दुर्रहमान की रचनाएँ