छुपम-छुपैया
ताक-धिना-धिन मारे मैया जाड़े में,
चट कर भागी दूध बिलैया जाड़े में!
सिकुड़ी बैठी सोन चिरैया जाड़े में,
काँप रहे हैं बंदर भैया जाड़े में!
अटकुल-मटकुल हिरन के बच्चे देखो तो,
खेल रहे हैं छुपम-छुपैया जाड़े में!
बूढ़े बब्बा खाँस रहे हैं खटिया पर,
कब से ओढ़े हुए रजैया जाड़े में!
सूरज दद्दा माँग रहे हैं सुबह-सुबह,
गुड़ वाली अदरक की चैया जाड़े में!
हरे-भरे पेड़ों पर किरणें नाच रहीं,
तुम भी नाचो-गाओ भैया जाड़े में।
-साभार: नंदन, जनवरी, 1993, 18
सरल गिलहरी
नीम की छैयाँ ता-था-थैया
आई गिलहरी देखो भैया,
दौड़ रही है, नाच रही है
खेल रही है खो-खो भैया!
ऊपर आती, नीचे जाती
डाली पर झटपट चढ़ जाती,
कुतर रही है जाने क्या यह
आहट पाते ही छिप जाती!
चंचल, सुंदर, सबसे न्यारी
प्यारी-प्यारी सरल गिलहरी,
माँ को बहुत भली लगती है
सिया-राम की चपल गिलहरी!