पलक झपकता गया कठीने ?
औस तणा नैनाकिया मोती, पसरयोडा हा इतरी ताळ!
पलक झपकाता गया कठीने, करूँ औस री ढूंढा-भाळ?
आभै तणी कूख सूं उपन्यो, सुरज-गीगलो करतो छैन!
जाय चढ्यो पूरब री गोदी, नेमधेम री सैनूंसैन!
बाड़ी-तणा फूल-पानका, चिल्कै-मुळकै बण’र बहार !
मै उगते सुरजी नै देख’र लुळ-लुळ नमन करूँ मनवार !
सुरजी रै तप सूं भापीज्यो, रीतो पड्यो दूब रो थाळ !
पलक झपकाता गया कठीने, करूँ औस री ढूंढा-भाळ !
सुरजी परतख एक सांच है, कद जाणीजै उण नै झूठ !
औस तणा मोती’ई साँचा, बात नहीं है आ परपूठ !
औस आस तो है छिणगारी, पल मे परगट पल मे लोप !
हियो सिलावै जगत सजीलो, सोक्याँ मायं सांच री ओप !
पण सगला पल एक सरीसा, ना रैवै थिर कोई काळ !
औस तणा नैनाकिया मोती, पसरयोडा हा इतरी ताळ !
पलक झपकाता गया कठीने, करूँ औस री ढूंढा-भाळ ?
कूख पड़यै री पीड़
ओजूं एक चाणक्य
कूख मांय आग्यो है!
जापायत बणली अबकै
म्हारली भावना
जुगां सूं बाँझड़ी-कूख
बणसी अबै एक फळापतो-रुंख
आंगणै बाजसी सोवनथाळ
फेरूं कोई नीं कैय सकै
कुसमो-काळ!
मानखै रो स्वाभिमान गासी मंगळगीत
होवै लागी अबै परतीत!
ओजूं एक चन्द्रगुप्त जामैला!
स्वाभिमान नै टीयो दीखावणयां रो
माथो भांगैला!
ऊथळो मांगेला
चाणक्य रा नीत-मंत्र!
चन्द्रगुप्त रो भुजबळ मांगेला
आपरो तंत्र!
विजै-गीत गवैला चारण-भाट
उतर रैयो है
धरती उपरां एक आतमबळ विराट !
इतिहास दुसरावैला आपरी रीत
होवै लागी अबै परतीत!
अणतकाळ सूं रुपयोड़ी है
एक जंगी-राड़!
पटकपछाड़
देव-दाना रै बीच कद रैयो सम्प
दिसावां मांय भरीजग्यो है कम्प!
जद-कद आडा आवै दधिची रा हाड़
स्याणा कथै क जड़ लेवो किंवाड़
राड़ आगै बाड़ चोखी
पण के ठा’!
कुण, किण रो है दोखी!
बरतीजै, जद बिरत्यां
गम ज्यावै सिमरत्यां
सुभावां री होवै ओळखाण
बिरळबाण होय जावै
धरम-करम अणजाण
जद होवण लागै इसी परतीत
अर भिसळ जावै मानखै री नीत
जद न्याय नै
गोडालाठी लगायनै
नाख देवै पसवाड़ै
नागी नाचण लागै अनीत चौड़ैधाड़ै
जणा भावना’र विवेक रै संजोग
मानखै रै गरभ पड़ै
बो एक जोग!
कांईं होवै लागी इसी परतीत?
बोल-बोल!
मनगीत!
ओ अनुभव है जुगां री एक सांच
एकर ‘गीता’ नै बांच!
‘रामायण’ नै गा!
उण कथ सूं हेत लगा!
जिको है बिरम रै उणियार!
बो-ई धरै चाणक्य-चन्द्रगुप्त रो आकार!
नांवसोक मन मांय चींत!
दखां, किसीक होवै परतीत!
इयां कितराक दिन चालसी
पाखण्ड-तणो वंस?
छेवट, इण बजराक सूं मरियां सरसी कंस!
घणा दिन नीं रैयग्या है बाकी
चाल रैयी है काळ तणी चाकी
नौवों-म्हीनो लागग्यो है आज
नेड़ै-ई है जै अर जीत!
होवै लागी परतीत!
मैं,
पीड़ रै साथै उछाव नै अनुभवूं!
मैं,
काळधणी नै माथो निंवू!
म्हारी पीड़
एक खुशी री पीड़ है
काळधणी री पगचाप
बगावत रो घमीड़ है!
साव दीसै ममता
जामण री खिमता
भविष्य रो एक सुपनो प्यारो
म्हारी आंख रो तारो
लाखूंलाख सुरजां सूं बेसी है!
सांसां मांय बापरै!
बो नीं है अबै आंतरै!
बो-ई है म्हारो महागीत!
बो-ई है सागण परतीत!
धरती राजस्थान री
आ है वीरभोम विख्यात
आ तौ बलिदानां री बात
उजळा धरम-करम री ख्यात
रचणा रंगरूड़ी, अभिमान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
पूरब में आडावळ डूंगर, पण रोपण ऐनाणं
आथूणा धोरा जुझारू, भंभूळयां रा गाणा
उतराधै सींवाडै गंगा री बेटी बळ खावै
दिखणाधी घाट्यां इतिहासी ओळख नै परखावै
बिचली माटी तणी मरोड़
गोरा धोरां जठै धरोड़
लूंठी पुण्यायी पुनवान री जी राज
धरती आ है राजस्थान जी री राज
त्याग‘र तप री माटी, कण-कण जसगाथावां गावै
अटळ-वीरता, प्रेम‘र भगती रौ संदेश सुणावै
कठै दरद रा गोट, कठैई झरै प्रीत रा झरणा
राष्ट्र भाव रै आगै कांपै, बैरयां रा नित थरणा
साहित, कळा, लोक संगीत
मानखैं रो सागीड़ौ बींत
चींत में चिंत्यावां गुणवान जी री राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
अंबरगढ़-आमेर सवायौ, सीसम्हैल लाखीणौ
नीं देख्यो जैपर-नाहरगढ़, सांची जलमविहूणौ
जंतर-मंतर, हवाम्हैल, जैगढ़ री घायां गाजै
गोविंदजी रौ मिंदर, गळतौ तीरथधाम निवाजै
रामगढ़ झील‘र सांगानेर
बगीचा-बाग जठै चौफेर
नीजर अटकै हर इनसान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
बीचूंबीच काळजै सिरखौ, है अजमेर अनूठौ
ख्वाजा री दरगा रौ तीरथ, संकळायीधर लूंठौ
ढायी दिन रौ अजब झूंपडौ, चोखौ घणो चिणायौ
ऊभौ है तारागढ़, आनासर गजब खुणायौ
संस्कृति-संगम घेरघुमेर
क म्हारौ जगजाण्यौ अजमेर
क भोमी लालकिलै-नसियान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
पुष्कर मानसरोवर म्हारौ, पुन रा मोती निपजै
बिरमाजी रै मिंदर में ज्यूं, आखी सिस्टी उपजै
सावित्री मिंदर‘र किसनगढ़, चित्रामां री नगरी
जठै नागरीदास तणी है, कळा भरयोड़ी गगरी
गुंदेळाव तण आ झील
म्हैकै फूल म्हैल रंगील
मिंदर में मूरत कल्याण री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
रूस‘र भाजी जीण भैण नै हरसौ बीर मनावै
तंतर साध बण्यौ भैंरूजी, धूणी अलख जगावै
तीरथ धाम लुहागर, मैया साकंभरी रूखाळै
सगतीपीठ झूंझणूं, राती सत री जोत उजाळै
बुलावै खाटू हाळौ स्याम
फतैपुर सगती-पूजण धाम
क निरमळ गाथावां गुणगान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
देसनोक री करणीमाता, सिंघ चढ़ी सरणावै
रणबंका राठौड़ां री दाकळ सूं घर गरणावै
कोलायत मे कपिल मुनी री, तपै आज लग धूणी
कातिग स्नान करै तौ होवै, सुफळ मिनख री जूणी
लालगढ़, जूनौगढ़, गजनेर
सुरंगौ सावण बीकानेर
जीतमल, हरमिंदर रै मान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
देवीकुंड, अनूपम्हैल, शिवबाड़ी घणी सुरंगी
करणम्हैल, दुरगानिवास अर फूलम्हैल बौरंगी
चंद्रम्हैल में बैठ‘र पीतळ, पातळ नै समझायौ
पूगळ री पदमण्यां रूप रौ, च्यानणियौ चिलकायौ
‘मांड’ रा रात्यूं गूंजै गीत
अठै सूं सरजीवण संगीत
धरती धोरांळी मुसकान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
चांदी रा गोळां रौ चुरू, मालासी रौ भैंरू
भींव भुजाळौ गट्टा खेया स्यानण रै चौफेरूं
द्रोणगीर-रणधीसर, गमगी अठै-कठै चंदेरी
कत्थक निरत अठैई निपज्यो, कळावंत मनल्हैरी
अठै है छापर हाळौ ताळ
अठैई बालाजी-गोपाळ
रा है सालासर हनुमान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
मीरां मेड़तणी रै मिंदर में गिरधर गरबावै
प्रेमदिवानी हरजस गाती, हियै दो दरद जगावै
अठै ओसियां रौ मिंदर, औ जबरजंग जोधाणौ
दुरगादास वीर ओ ई, सागी ठौड़ ठिकाणौ
ओ है राठौड़ी मंडौर
नित-नित भलौ जिकौ नागौर
क पणघट-पणियारयां बेभान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
लोदरवै री मूमल-सूमल, नाटक अजब रचायौ
रूपंती नखसिख-सिणगारू, घर-घर गीत गुवायौ
पटवौ पोयौ हार, हार में बणी जीत री हेली
नथमल-सालमसिंघ री हेली, मनमोवण-अलबेली
जैन मिंदर‘र ग्यान भंडार
क जैसळमेर तणी मनवार
बाड़ामेरी रेगिस्तान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
गढ़ां मांयलौ गढ़ चित्तौड़ी, रजवट नै परखाणौ
मेवाड़ी भुजबळ रौ लूंठोड़ौ, अणजीत्यौ पाणौ
राणा कुंभा, सांगा, पातळ री दकाळ सुणीजै
खिंड्या पडया मिंदर ढमढेळा, पाछा किंया चिणीजै
हरजस मीरां तणी हुंसेर
हेला मारै च्यारूंमेर
क जोगण बणगी बा भगवान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
जौहर तणी झळां मे पदमण, निज रौ रूप रळायौ
रूप बण्यौ कुन्नण, जद सत रौ सोनौ बणा गळायौ
पन्नाधाय पूत परखायौ, अजब गजब री गाथा
माटी जद-जद मांग्या, सैनाणी बणग्या बै माथा
माथा झुक-झुक खावै धोक
कवियां बांचै पुन्नसिलोक
क म्हांरी माटी गरब-गुमान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
हळदीघाटी मूंघी माटी, ल्यो, इतिहास बतावै
पीछोला री पाळ, गोखड़ा ऊंचोड़ा गरणावै
झीलां-भीलां री आ माटी, जग में है लाखीणी
ठौड़-ठौड़ में देव-देवरा, कीतरगाथा झीणी
हर-हर महादेव हुकांर
जै-जै एकलिंग आधार
रिच्छा करज्यौ आन‘र बान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
नाथदुवारौ, जैसमंद अर राजसमंद, नगादौ
कुंभळगढ़, सज्जनगढ़ देखण रो है घणौ तगादौ
रिखबदेव, राणकपुर मिंदर, जिनप्रभु रा रैठाणा
मात अंबिका नै धोकै है, उदियापुर रा राणा
क कीरत दाम अठै बेथाग
कांकरोली, गुलाब रौ बाग
धरा है भामासा रै दान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
रणतभंवर रा गणपत घर-घर, नित-नित मंगळ गावै
मंगळ कारज सारण, आखौ जग बां ने ई ध्यावै
हठी हमीर तणी हठगाथा, रणथंबोर हठीलौ
जुगां-जुगां सूं धरमधाम रौ, कण-कण है गरबीलौ
मानखौ उजळावै हर गांव
रगत नै परखावै हर ठांव
वीर गाथावां कानूंकान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
अलवर री गुफा, भरथरी अलख जगायी धूणी
ओ सलीम रौ म्हैल खडयौ है, अलवर झील सलूणी
गोरा हट ज्या गढ़ बांकौ‘र किलौ बांकौ है भारी
तेज भरतपुर रौ तापै है, जाणै दुनियां सारी
पंछ्या तणौ केवळादेव
रंगीली पांखड़ल्यां‘र सनेव
उडारां है इधकै उणमान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
चामळ रा बीड़ां में, दिन मे रात अंधारी लागै
पण धर-कोटा में हाडां रौ बंस उजळौ सागै
मांडळगढ़, रामगढ़, बैरिज, दरड़ा करै ठिठौली
अठै जगमिंदर तणौ बणाव
झालरापाटण तणौ बणाव
क शोभा न्यारी थान-मकान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
हाडीराणी, जकी जुद्ध में भेजी, सिर-सैनाणी
जायी-जामी अठै, अठै रौ पीयौ सत रौ पाणी
बूंदी रा ए म्हैल सोवणा, चित्रम्हैल साच्याणी
छत्रम्हैल फुलड़ां रौ सागर, यादां घणी पुराणी
अठै है बिरज‘र कोहक बाग
रतनदौलत है जिणरौ भाग
क रचणा विध रै सरब विधान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
आबू रा ऊंचा डूंगर पर, बोलै है मोर सुहाणा
सूरज-सैलाणी री ठौडां, हनीमून-रैठाणा
नक्कीझील निजारा मारै, गुरसिखरौ गरबीलौ
बाग-बगीचा धर मैकावै, उपरां आभौ लिलौ
सिरोही आ रौही विख्यात
सोवणा दिन अर मदवी रात
प्रीत री रागां, मीठी तान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
डीघा मिंदर धरम-धुजावां, गिगनारां फुरकावै
गौमुख, दिलवाड़ा अर देवी, अधर खड़ी मुळकावै
मिंदर ओ रूघनाथ धणी रौ, अठै अचळगढ़ ऊंचौ
देखण नै आवै धरती नै, जण-सिंसार समूचौ
ऊजळौ मोती राजस्थान
धरम रौ गोती राजस्थान
नैण री जोती हिंदुस्तान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
मायड़भासा राजस्थानी, आठ क्रोड़ री वाणी
साहित में नौरस उपनावै, सदियां सूं जगजाणी
जिण भासा में कवि किशोर रा, गीत गिगन सरणावै
ग्यान-ध्यान रै सागै, कविता री किन्या परणावै
कल्पनाकांत तणौ ओ गीत
बतावै राजस्थानी रीत
क म्हारी भासा गरब-गुमान री जी राज
धरती आ है राजस्थान री जी राज
ओ काळधिराणी कंकाळी
ओ घर
जिण मांय मैं रैवूं हूं
अेक जूनै-सूपनै रो है मिटतो अैनाणो
भींतां उपरां मंड्योडो है तराड़ रो ठिकाणो
साव जोवण सकै कोई
इण घर री हथेळी उपरां उभरीजती
भाग-रेखड़यां नै
ओ घरियो घिरीजग्यो है तराड़ां सूं
जाणै, करजदार घिरीजग्यो है किराड़ां सूं
मोरी, मोखा, दरूजा‘र किवाड़ां सूं
घिरयोड़ो मैं
देखूं हूं नित दिनुगै
भळभळाट करतोड़ी सोनल-तरवार
अंधारै री छाती उपरां करै वार
छंग जावै नींद री भोडकी
अेक सुपनै री मूंडकी
बोम री टूंकळी उपरा टेंग जावै
इयां करतां
गूंथीजै मूंडमाळ
ओ काळी-माई, थांरै सारू!
म्हारो अबोल्यो मनड़ो जोवै
सामला
तामावरणी‘र पीळांस्यां मारगां नैं
म्हारी आंधळी-चेतणा
पंपोळै‘र थपथपावैं
रातनै थेपड़ै म्हारी कनपट्यां
अेक अणलोकाळ-भाषा गावैं लोरी
कुण है –
बा अेक रैबाली छोरी ?
बा भाषा है
अेक चीकणो सिलाखंड
जिण उपरां धंस-धंस‘र रगड़ीजै
चन्नणा क तरवार
जिकी दिनुगै फेर गूंथसी मुंडमाळ
ओ काळधिराणी कंकाळी!
थारै सारू!
म्हारी ऊपरली पलक है तरवार
तळली है सिलाखंडी भासा
आपसरी रगड़ीजै खासा
नित दिनुगै
मैं जोवूं तराड़ चाल्योड़ी भींतां नैं
भींतां है आस-भरोसा
जिका बोलै नित मोसा
रूपाळी-
मारगां री धूळ रो कांपै काळजो
तरवार-धार पीवणो चावै रगत
गूंथणी चावै मुंडमाळ
औ खप्परधारणी-काळी
थारै सारू!
ओ डील
है भोमली टींगरी रो गुढयाळो
तरवार सूं काट नाख कपली-कपली
पण म्हारा कंठा री आ
सिलाखंडी-भासा
किणी तरवार सूं
क किणी प्रचंड-प्रहार सूं
नी कट सकै!
कदै नी कट सकै!
आ है अजर-अमर
सैंचन्नण उजास रा अणत विस्तार मांय
है इणरो रैवास
अणत-बोम मांय घूमती आ उल्का
ओ सिलाखंड
थारली तरवार सूं नीं कट सकै!
इणनै कलम-तणी
नैनी-सी छिणी सूं तरास!
कोर दै इणरै उपरां अेक उणियारो
जिको सूंप सकै जीवण नै पतियारो!
आव!
आपां अेक मूरत घड़ा!
सूछत आतमै री विराट मूरत!
मुंडमाळ रै बदळै
गूंथां सुमनमाळ
कांई कैवै-
मरूथळ मांय फूल कठै सूं आवै ?
फूल आपणा हिरदां रा बागां मांय
घणा-ई है कंवळा-कंवळा!
रंगरंगीला भाव-पै‘प
सोरम सरसांवती आ माळा
कल्याणकरणी काळी!
है थारै सारू!
अणगायो-गीत
ओस चाट रैयी है जीभ
बीयाबाण मांय भटकीजतो आतमो
तिरस्यां मर रैयो है!
अर बणरायी उपरां-
ओसरयोड़ी है ओस !
मनै चेतो नीं है: मैं हूं बेहोस!
अजेस तो गिणती रा पांवडा-ई भरीज्या है
वींनै चालणो है-
कोसूंकोस
तिरस्या होठ गावण नी सकै गीत
जिणनै सिरज रैया है-
जीवण रो संगीत
जिको उकसाया करै गीत नै,
बो,
सरणाय उठयो है म्हारै घट मांय
अेक सितार गरणाय रैयी है!
अेक बांसरी बाज रैयी है!
अेक मिड़दंग गूंज रैयी है!
अेक डमरू डमडमाय रैयो है!
अर जाणै!
के ठा‘ कितरा-न-कितरा भांतभंतीला बाजा
उठाय रैया है
उण संगीत नै
जिको म्हारै मांय उमट रैयो है!
सातूं-सुर-
इक्कीसूं-मुरछावणां समेत
म्हारै रूं-रूं उपड़ीत रैया है
पण तिरस्या होठ,
सूखो-कंठ
नीं उंगेर पावै गीत नै
कोरो संगीत-ई-संगीत
अणहद बण्योड़ो है!
मैं मांय-ई-मांय गायां जावूं
सांभळतो भी मैं-ई जावूं!
ठौड़-ठौड़ उपड़ीज रैया है भंबूळिया
तप रैयो है उपरां सुरजी
जठीनै-ई मुड़‘र जोवूं मैं
बठीनै-ई
ओर-छोर बिहूण-
मरूथळ
नी अेक पानको
नीं अेक छांट पाणी!
च्यारूंमेर तपत‘र बळतेड़
मांय-मांय उठती उमेड़!
अबार
जिण बणरायी नै
मैं पार करी है
उणरै उपरां
पसरयोड़ी ही ओस!
आ जीभ
उणनै चाटण री चेष्टा करी ही
पण अबुझ रैयगी म्हारी तिरसा
मनै
म्हारै खुद रै उपरां-ई दया आवै!
मैं निरूपाव हूं….
कोई नीं बतावै
क मैं किस्यो भाव हूं?
इणभांत मैं खुद-सूं-खूद
अणजाण हूं!
क्यूं‘क म्हारो गीत
अजेस अणगायो है!
म्हारो गीत-ई म्हारी ओळखाण है!
पण ज्यां गीतां नै
मैं गाय चुक्यो हूं,
बै
म्हारी पिछाण क्यूं नी बण सक्या..?
मैं खुद-नै-खुद बूझ रैयो हूं!
म्हारा पग रूपग्या है
मैं आगीनै नीं सरक पावूं हूं
म्हारा होठां उपरां फेफी आयोड़ी है
पण आंख्यां मांय
कोई रंगत छायोड़ी है!
अर मनै लखायीजै
अठै री हरेक बात म्हारी गायोड़ी है!
अनेकूं उणियारा
सरजीवण होवैः
मैं सती नै कांधै उपरां उंचक्यां-
घूम रैयो हूं!
मैं नारद री ज्यूं
दरपण नै चूम रैयो हूं!
सीता री सुध मांय
बावळो-सो मैं
दिगन्तां नै हेला मार रैयो हूं!
राधा नै बुलावण सारू मैं
म्हारी बांसरी नै चूम रैयो हूं!
लोग म्हारै उपरां भाठा बगाय रैया है-
क्यूं‘क मैं लैला नै ढूंढ रैया हूं!
इणभांत, मैं बारम्बार हार रैया हूं!
मैं देखूं हूं:
म्हारा सुपनां रा भटकीजता भूत
म्हारौ सामै ऊभा है
म्हारै खिलाफ बै आन्दोळण कर रैया है!
बै देखो!
बै नारा लगाय रैया है:
‘इन्कलाब-जिन्दाबाद!’
बां-मांयलो कोई भाषण देय रैयो है!
अबै नीं गायीजै
म्हारै सूं बारम्बार
ओ मेघदूत नीं गायीजै!
नीं गायीजै!
पण मैं कियां उंगेरू…
तिसायै-कंठ बो गीत?
जिकै रो संगीत
म्हारै मांय सरणाय उठयो है!
मैं अेक अणगायै-गीत नै लियां फिरूं हूं!
मैं बागी तो कोनी होयग्यो के
आजकाल म्हारै अेक ऊतरै‘र अेक चढै!
‘के ठा’ कुण…?
अेक जणो मांय-मांय लाल-किताब पढै!
रैय-रैय म्हारा रूंगटा फूल उठै!
कंई करण-धरण री मनस्या
म्हारी नस-नस फड़क उठै!
उकसीजतो-
म्हारो अणु-अुण चेतण‘ चंचळ होवै
बावळा! जूण नै अैळी क्यूं खोवै?
म्हारी आंख्यां मांय प्रगटावै
खड्गधारणी कंकाळी!
फैंऽफट बजावै ताळी
बावमंडळ मांय गूंज उठै किलकारयां
ऊभी है धार नै पलारयां
बोम मांय बीजळयां सी कड़कै
सांयत बिरमांड मांय अेक सळी-सी रड़कै!
कठैई बगावत-सी भड़कै!
भवानी बोल!
तू के चावै ? …मुंडमाळ?
मत हो देवी, तू इतरी विकराळ!
तू तो है म्हारी पवित्र कामना: चावना
निरमळ-भावना
म्हारै साधक नै क्यूं बणावणो चावै कपाळी?
मिट जासी म्हारी सिरजणा
थारी‘र म्हारी सिरजणा
आ सिरस्टी उण जावैला बेडोळ!
म्हारै तांडव सूं ऊपनैला भूडोळ!
कठैई नीं रैय जावैला सोवणापो
ठावो राखण दै, म्हनै म्हारो आपो!
इयां हिण-तणी खितिजां नै क्यूं नापो?
रूप: बण जावैला विद्रूप
जिको तू रैवण दै!
दुख-भिखा म्हारा है
मनै-ई सैवण दै!
जूण-न्यावणी नै मझधार मांय-ई बैवण दै!
मैं तो सृष्टा हूं
विणास री कियां करूं: कामना-चावना?
पण कंकाळी बणगी है अबै म्हारी भावना!
क्यूंकै म्हारै बिरमांड मांय
बरस रैया है बळबळता अंगारा
म्हारी सांसां मांय ऊपड़ीज रैयी है
बाळूं जाळूं करतोड़ी धपड़बोझ लपटां!
म्हारो सरबस सिळग उठयो है!
म्हारो गीत बणग्यो है काळभैंरू
म्हारी कल्पना बणगी है काळरातरी
सायुज्य है
डर-भौ, दुख-पीड़ा, सुख सोरप, मोह-ममता
प्रेम-घिरणा
सगळा-ई भाव-विभाव
ओ‘लै नीं रैयग्यो है
मिनख रो आतमघाती-सुभाव!
म्हारै डील उपरां
रूं-रूं उभरीजग्या है घाव
हरेक घाव सूं उपड़ीज रैयी है मर्मान्तक-पीड़!
पीड़ माथै फेर-फेर
मार रैयो है कोई धम्मीड़!
अठै-लग‘क घायल होयगी है आतमा!
बोल, परमातमा!
मैं अब के करूं ?
म्हारै साथै सूं बारम्बार
टकरीज रैयो है अेक सबद
उणरी अेक-अेक टक्कर सूं
गूंज उठै
सैंसूंसैंस सबद
बै-
उण अेक-ई सबद री पड़गूंजां है
उणरा-ई पर्याय, का अर्थ
म्हारै पीड़ायीज्यै होठ-अधर
उभरायीजै अेेक मुळक
अेक पुळक नैणां मांय चिलक उठै!
म्हारो कंठ
दुसरावणी चावै उण सबद नै
उणसूं पड़गूंजता सुरां नै
मैं अैकठ करूं मांयलै बळ नै
पण सबद नीं उचरीजै!
अेक लाल-गिचळको
म्हारी आंख्यां रै सामै आय पड़ै।
म्हारी पथरायीजती दीठ
सावळ जोवणो चावै!
रगतपिंड…!
सैसूं सैंस सबदां रो पुंजीभूत सरूप …
उण अेक सबद रो सांवठो आकार!
आज म्हारै सामै है
परमात्मा साकार!
बोल, परमात्मा!
अबै मैं के करूं ?
म्हारो अणु-अणु कथणो चावै
मांयला-
अणत सबदां नै मथणो चावै।
पैलो-रतन नीसरयायो
मैं पीयग्यो हूं
पीयां जाय रैयो हूं!
म्हारै नसो चढ्यां जावै
मैं नाचूंला…
तांडव-निरत!
म्हारा होठां रा बीयाबाण-धोरां सूं
उपड़ीज रैया है ठौड़-ठौड़ भंबूळिया
अै-ई है बै गीत!
जिका काळभैरूं बणग्या है!
म्हारी आंख्यां मांय नाच्या करती
अेक बाल-परी!
बा-ई सागण-
धर लीन्यो है कंकाळी-रूप
म्हारी पलक्यां री कारां तळै
बस्या करतो-
कामना रो अेक सोनल-देस
जिण मांय गूंज्या करतो
अणहद रो संगीत
पण बो देस
बस्यां पैली उजड़ग्यो है!
कोई कंठ मोस नाख्या है
उण अणहद-संगीत रा
मैं घणो बेचैन हूं
म्हारो कपाळी गीत आवै है
संकळप दिरावै
‘हरि ऊं तत्य्द्यतस्य….’!
उकसावै मनै
म्हारै ई अन्तस रो विराट
म्हारी गरिमा, लघिमा, अणिमा
खोल दीन्या है कपाट!
अजेस तू जींवतो-जागतो है
मर नी सक्यो है
मर नी सकैला!
उठ! सैंपूर उठ!!
उखाड़ नाख समाज रा तम्बू!
जिका थारै कामना रै देस
नाजायज तणीजग्या है
उपाड़ दै-
राज रा रीत-नेमां रा खूंटा!
ज्यां रै-
आं तम्बुवां री डस बच्योड़ी है!
उतार दै छोत-
बां गळयां-सिड़या खोपड़ां री
आदर्सां रा पाखंडी होकड़ां री
जिकां रा असली उणियारा
आं तम्बुवां मांय ल्हुक्योड़ा है!
गोड़ा तोड़ नाख-
बां मरतल-पड़तल डोकरां रा!
दिमागी-नौकरां रा!
फिल्मी-स्यारखा जोकरां रा!
जिका राज रा खूंटां सूं बंध‘र
आं तम्बुवां नै ताण्या है
क्यूं‘क
आपरा कुकरमां री रिछपाळ सारू
ताण्या है अै तम्बू
गाडता रैवै नित-नुवां
रीत-नेमां रा खूंटा
उकसावै मनै
म्हारै-ई अन्तस रो
विराट!
‘हरि ऊं तत्सवितुरवरेण्य..’!
बिना सबद रो प्रेमगीत
‘म्हारै प्रेम री
अेक कविता रच देवो!’
बोली अेक मदवी-मरवण
भुजबंधां मांय भर्यां अथाग पिरथी
आभै‘र पतळा-समेत अेकमेक
रळवां है
जिण मांय अेक सुर
सुर!
जिको आकारविहूण है
अदीठ है
उणनै उचक्यां फिरूं बोम मांय
कितरो नैनो-सो है
ओ सुर!
कितरो विराट है
इणरो विस्तार!
समाहित है
घुळवां है
अेकूंकार, जिण मांय
आखी रचणा-तणी सिंसार!
चाखूं हूं चकासा
म्हारा कंठ भूलग्यो है भासा!
‘मनै रळाय लेवो
थारा प्राणां मांय
थारा‘र म्हारा प्राण
महाप्राण रा अंस है!’
आवेग‘र आवेस सूं थरहर कंप्यो राज!
आ है तादात्मय री प्रक्रिया
विरह रा सात-समदां उपरां
अेक सेतुबंध
सातूं-समद-ई सातू-सूर होसी स्यात!
सेतुबंध, भुजबंध सूं अळगो है
कानां-पड़ती भणकार रा सबद
कद घड़ीजै!
अधर-होठां री रेखड़यां उपरां
सुपनाळा चित्राम कोरीजै!
मैं कियां रचूं
बा कविता?
थारै प्रेम री कविता!
स्रिस्टी रै नितनेम री कविता!
प्रेम तो जिस्यो थारो
बिस्यो ई सगळां रो!
अेक-स्यारखो है!
म्हारै मन रै ढोलै री मरवण
तू-ई है!
म्हारै सरव-बोध री उरवसी
तू-ई है!
म्हारै आतमग्यान री मेनका
तू-ई है!
मैं मात्र अेक पुरूष
तू नारी!
थारै प्रेम री कविता
रचण बैठयो हूं!
म्हारो ओ प्रेमगीत
तू सुण सकै के…?
पीड़ायीजतो-मन
ओ गांव
उण डाढ़ोडै शहर री नकल कोनी
ओ है: अेक लघु संस्करण
महानगरी-पोथी रो सार रूप
लोकभाषा मांय करयोड़ो
अनुवाद!
अणगिणती मिनखां री भीड़
अठै कोनी
अठै कोनी: उठापटकी, धक्कामुक्की
मसीनी राकसां रो घमसाण
उणरा पळकारा‘र पड़गूंजां
जाणै
पांचवै-वेद री
नुवैं ग्यान-भेद री
आ अेक नैनी ऋचा
बेसुरी गायीजती होय!
बारै दीसतो
सोकीं सांच कोनी
झूठ-ई तो कोनी
बो है अेक परीजण
जिको
पाणी मांय रळबां
तरळायी री भांत
सांच‘र झूठ
अेकरूप ओळखीजै!
म्हारली संवेदणा
किणनै
किस्या परवाणां कूंतै?
बूझतो रैय जावैं मन
(ओ मन कंकरी चुग-चुग‘र महल बण्यो है)
डील साथै सायुज्य है
का स सायुज्य-प्रयासो
जड़ है क चेतण
बूझता रै भिजोक!
इणनै तूटताट जावण द्यो!
होय जांवण द्यो
ढमढेळ!
फेरूं
मन री कांकरी-कांकरी
ख्ंिाड-जावण द्यो!
खिंडळमिंडळ होय-होयनै संधणी
म्हारली पीड़
मन सूं जुड़ रैयी है!
मिनख री जूण
बठीनै मुड़ रैयी है-
जठीनै संस्कृति मुड़ रैयी है!
गांव‘र शहर अेकूंकार होयग्या है
तन‘र नम
– धन नै भाळता
दोनूं ई खोयग्या हैै।