ये बूंदे नहीं…
बरस पड़े बादल
टूट गया धीरज
उतर पड़ा आसमान
धरती को चूमने
ये बूंदें नहीं
होंठ हैं आसमान के
जीवन
घूंघर-घूंघर बरसती हैं बूंदें
झूमते हैं पत्ते
पत्ता-पत्ता
जी रहा है
पल-पल को
आने वाले
कल से बेख़बर
प्रेम
दुख आया था
तुम्हें देखा
ठिठका
और
दबे पाँव लौट गया
लड़की
लड़की
सज रही है
लड़की
सजा रही है
और
भुगत रही है
लड़की होने की सज़ा
चेहरा
ख़ुशबुओं के पास
ख़ुशबू थी
-चेहरा नहीं था
रंगों के पास
रंग थे
-चेहरा नहीं था
आग के पास
आग थी
-चेहरा नहीं था
प्रेम के पास
प्रेम था
-चेहरा नहीं था
ख़ुशबुओं ने कहा
रंगों ने कहा
आग ने कहा
प्रेम ने कहा
-हमें चेहरा दो
मेरे पास एक चेहरा था
कुछ मेरा था कुछ तुम्हारा था
उन्हें सौंप दिया
हिंसा
हिंसा की भाषा
बड़ी सख़्त
बड़ी भारी
और
ऎंठी हुई होती है
मृत
शरीरों की तरह
फिर भी
कोई इसे
न दफ़नाता है
न जलाता है