रह़गुजर
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है
किसी पत्थर से टकराने को पत्थर होना पड़ता है
अभी तक नींद से पूरी तरह रिश्ता नहीं टूटा
अभी आँखों को कुछ ख़्वाबों की खातिर सोना पड़ता है
मैं जिन लोगों को खुद से मुख्तलिफ महसूस करता हूँ
मुझे अक्सर उन्हीं लोगों में शामिल होना पड़ता है
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है
हर शाम सँवरने का मज़ा अपनी जगह है
हर रात बिखरने का मज़ा अपनी जगह है
खिलते हुए फूलों की मुहब्बत के सफ़र में
काँटों से गुज़रने का मज़ा अपनी जगह है
अल्लाह बहुत रहमों-करम वाला है लेकिन
लेकिन अल्लाह से ड़रने का मजा अपनी जगह है
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे
जो कहता था हमारा सरफिरा दिल, हम भी कहते थे
कभी तनहाइयों को तेरी महफ़िल, हम भी कहते थे
हमें भी तजरिबा है कुफ्र की दुनिया में रहने का
बुतों के सामने अपने मसाइल हम भी कहते थे
यहाँ इक भीड़ अंजाने में दिन कहती थी रातों को
उसी इक भीड़ में हम भी थे शामिल, हम भी कहते थे
एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती
एहसास में शिद्दत है वही, कम नहीं होती
इक उम्र हुई, दिल की लगी कम नही होती
लगता है कहीं प्यार में थोड़ी-सी कमी थी
और प्यार में थोड़ी-सी कमी कम नहीं होती
अक्सर ये मेरा ज़ह्न भी थक जाता है लेकिन
रफ़्तार ख़यालों की कभी कम नहीं होती
था ज़ह्र को होंठों से लगाना ही मुनासिब
वरना ये मेरी तश्नालबी कम नहीं होती
मैं भी तेरे इक़रार पे फूला न समाता
तुझको भी मुझे पाके खुशी कम नहीं होती
फ़ितरत में तो दोनों की बहुत फ़र्क़ है लेकिन
ताक़त में समंदर से नदी कम नहीं होती
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है
महाजे़-जंग पर अक्सर बहुत कुछ खोना पड़ता है
किसी पत्थर से टकराने को पत्थर होना पड़ता है
अभी तक नींद से पूरी तरह रिश्ता नहीं टूटा
अभी आँखों को कुछ ख़्वाबों की खातिर सोना पड़ता है
मैं जिन लोगों को खुद से मुख्तलिफ महसूस करता हूँ
मुझे अक्सर उन्हीं लोगों में शामिल होना पड़ता है