मन बगिया
मन बगिया
कलरव करते
यादों के पंछी
हवा की धुन
हवा की धुन
थिरकती डालियाँ
पाँव के बिन
जीवन क्या है!
जीवन क्या है!
उड़ी, चढ़ी लो कटी
गिरी पतंग
कौन प्रवीण
कौन प्रवीण
बजाता जो सबकी
साँसों की बीन
यौवन माया
यौवन माया
सुन मृगनयनी
धन पराया
एक ही छत
एक ही छत
कमरों की तरह
बँटे हैं मन