यादराम ‘रसेंद्र’
मम्मी से यों रोकर बोली-
मेरी जीजी नंदा-
जाऊँगी स्कूल तभी, जब
दिखला दोगी चंदा!
मम्मी बोली-चुप रह बिटिया
कहना मेरा मान,
पापा जी का हैट हटाकर
उधर देख आ चाँद।
कसम राम की
दूध देखकर, आँख फाड़कर,
बोली मेरी नानी,
‘अरे दूधिए, हद है भैया,
दूध बनाा पानी।’
हाथ जोड़कर कहे दूधिया,
‘‘कसम राम की, मैया
मैंने नहीं मिलाया, पानी
अधिक पी गई गैया!’
गड़बड़-घोटाला
कविता करने बैठा टिल्लू
कागज-कलम संभाल,
बस इतना ही लिख पाया था
हम भारत के लाल।
इतने में आ चढ़ा गोद में
उसका कुत्ता काला,
लुढ़क गई दावात, हो गया
सब गड़बड़-घोटाला!