सूरज
सुबह-सुबह जब उगता सूरज,
लाल गेंद-सा लगता सूरज।
दोपहरी में थाली जैसा,
चमचम चमका करता सूरज।
लाल टमाटर-सा हो जाता,
शाम ढले जब ढलता सूरज।
बैलगाड़ी
धीमे-धीमे चलती, दो बैलों की गाड़ी,
आगे बढ़ती जाती खट-खट करती गाड़ी।
आगे बैठे चाचा, हाँक रहे हैं गाड़ी,
पीछे बैठा ननकू, देखे जंगल-झाड़ी।
बाबा जी
गलियों में घूमा करते हैं,
दाढ़ी वाले बाबा जी।
इकतारे पर गाते रहते,
जाने क्या-क्या बाबा जी।
माँ जब उनको आटा देती,
शंख बजाते बाबा जी।