इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता
इस तपिश[1] का है मज़ा दिल ही को हासिल होता
काश, मैं इश्क़ में सर-ता-ब-क़दम[2] दिल होता
करता बीमारे-मुहब्बत का मसीहा जो इलाज
इतना दिक़[3] होता कि जीना उसे मुश्किल होता
आप आईना-ए-हस्ती[4] में है तू अपना हरीफ़[5]
वर्ना यहाँ कौन था जो तेरे मुक़ाबिल[6] होता
होती अगर उक़्दा-कुशाई न यद-अल्लाह[7] के साथ
‘ज़ौक़’ हाल क्योंकि मेरा उक़्दए-मुश्किल[8] होता
इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता
इस तपिश[1] का है मज़ा दिल ही को हासिल होता
काश, मैं इश्क़ में सर-ता-ब-क़दम[2] दिल होता
करता बीमारे-मुहब्बत का मसीहा जो इलाज
इतना दिक़[3] होता कि जीना उसे मुश्किल होता
आप आईना-ए-हस्ती[4] में है तू अपना हरीफ़[5]
वर्ना यहाँ कौन था जो तेरे मुक़ाबिल[6] होता
होती अगर उक़्दा-कुशाई न यद-अल्लाह[7] के साथ
‘ज़ौक़’ हाल क्योंकि मेरा उक़्दए-मुश्किल[8] होता