अमीर इमाम की रचनाएँ
अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ मैं ज़िंदगी तिरा इक पैरहन उतारा हुआ सियाह-ख़ून टपकता है लम्हे लम्हे से… Read More »अमीर इमाम की रचनाएँ
अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ अब इस जहान-ए-बरहना का इस्तिआरा हुआ मैं ज़िंदगी तिरा इक पैरहन उतारा हुआ सियाह-ख़ून टपकता है लम्हे लम्हे से… Read More »अमीर इमाम की रचनाएँ