ओम प्रभाकर की रचनाएँ
कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़ कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़ अब सुनाए कोई वही आवाज़। ढूँढ़ता हूँ मैं आज भी तुझमें काँपते लब, छुई-मुई आवाज़।… Read More »ओम प्रभाकर की रचनाएँ
कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़ कितनी ख़ुशलफ़्ज़ थी तेरी आवाज़ अब सुनाए कोई वही आवाज़। ढूँढ़ता हूँ मैं आज भी तुझमें काँपते लब, छुई-मुई आवाज़।… Read More »ओम प्रभाकर की रचनाएँ