कुमार अनिल की रचनाएँ
और कब तक चुप रहें (ग़ज़ल) ज़ुल्म है अब हद से बाहर, और कब तक चुप रहें सामने है ख़ूनी मंज़र , और कब तक… Read More »कुमार अनिल की रचनाएँ
और कब तक चुप रहें (ग़ज़ल) ज़ुल्म है अब हद से बाहर, और कब तक चुप रहें सामने है ख़ूनी मंज़र , और कब तक… Read More »कुमार अनिल की रचनाएँ