केदारनाथ सिंह की रचनाएँ
रात पिया पिछवारे रात पिया, पिछवारे पहरू ठनका किया । कँप-कँप कर जला दिया बुझ -बुझ कर यह जिया मेरा अंग-अंग जैसे पछुए ने छू… Read More »केदारनाथ सिंह की रचनाएँ
रात पिया पिछवारे रात पिया, पिछवारे पहरू ठनका किया । कँप-कँप कर जला दिया बुझ -बुझ कर यह जिया मेरा अंग-अंग जैसे पछुए ने छू… Read More »केदारनाथ सिंह की रचनाएँ