कोई नहीं है बैठे-ठाले » कोई नहीं है बैठे-ठालेकीड़े भी सड़े-गले पत्तों को चर रहे हैं कुछ कोसा बुन रहे…
अभी आखें खुली हैं और क्या क्या अभी आखें खुली हैं और क्या क्या देखने को मुझे पागल किया उस…