‘ताबाँ’ अब्दुल हई की रचनाएँ
दाग़-ए-दिल अपना जब दिखाता हूँ दाग़-ए-दिल अपना जब दिखाता हूँ रश्क से शम्मा को जलाता हूँ वो मेरा शोख़ है निपट चंचल भाग जाता है… Read More »‘ताबाँ’ अब्दुल हई की रचनाएँ
दाग़-ए-दिल अपना जब दिखाता हूँ दाग़-ए-दिल अपना जब दिखाता हूँ रश्क से शम्मा को जलाता हूँ वो मेरा शोख़ है निपट चंचल भाग जाता है… Read More »‘ताबाँ’ अब्दुल हई की रचनाएँ