बालमुकुंद गुप्त की रचनाएँ
रेलगाड़ी हिस-हिस हिस-हिस हिस-हिस करती, रेल धड़ाधड़ जाती है, जिन जंजीरों से जकड़ी है, उन्हें खूब खुड़काती है। दोनों ओर दूर से दुनिया देख रही… Read More »बालमुकुंद गुप्त की रचनाएँ
रेलगाड़ी हिस-हिस हिस-हिस हिस-हिस करती, रेल धड़ाधड़ जाती है, जिन जंजीरों से जकड़ी है, उन्हें खूब खुड़काती है। दोनों ओर दूर से दुनिया देख रही… Read More »बालमुकुंद गुप्त की रचनाएँ