मंगलेश डबराल की रचनाएँ
अन्तराल हरा पहाड़ रात में सिरहाने खड़ा हो जाता है शिखरों से टकराती हुई तुम्हारी आवाज़ सीलन-भरी घाटी में गिरती है और बीतते दॄश्यों की… Read More »मंगलेश डबराल की रचनाएँ
अन्तराल हरा पहाड़ रात में सिरहाने खड़ा हो जाता है शिखरों से टकराती हुई तुम्हारी आवाज़ सीलन-भरी घाटी में गिरती है और बीतते दॄश्यों की… Read More »मंगलेश डबराल की रचनाएँ