‘मख़मूर’ जालंधरी की रचनाएँ
पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके हम क़ैद-ए-ज़ब्त-ए-ग़म से रिहा भी न हो सके दार-ओ-मदार-ए-इश्क़ वफ़ा पर है हम-नशीं वो… Read More »‘मख़मूर’ जालंधरी की रचनाएँ
पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके पाबंद-ए-एहतियात-ए-वफ़ा भी न हो सके हम क़ैद-ए-ज़ब्त-ए-ग़म से रिहा भी न हो सके दार-ओ-मदार-ए-इश्क़ वफ़ा पर है हम-नशीं वो… Read More »‘मख़मूर’ जालंधरी की रचनाएँ