मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ
अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए इस दौर में मक़तल को भी मय-ख़ाना… Read More »मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ
अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए इस दौर में मक़तल को भी मय-ख़ाना… Read More »मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ