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मलूकदास

मलूकदास की रचनाएँ

हरि समान दाता कोउ नाहीं हरि समान दाता कोउ नाहीं। सदा बिराजैं संतनमाहीं॥१॥ नाम बिसंभर बिस्व जिआवैं। साँझ बिहान रिजिक पहुँचावैं॥२॥ देइ अनेकन मुखपर ऐने।… Read More »मलूकदास की रचनाएँ