रहीम की रचनाएँ
श्रंगार-सोरठा गई आगि उर लाय, आगि लेन आई जो तिय । लागी नाहिं, बुझाय, भभकि भभकि बरि-बरि उठै ।।1।। तुरुक गुरुक भरिपूर, डूबि डूबि सुरगुरु… Read More »रहीम की रचनाएँ
श्रंगार-सोरठा गई आगि उर लाय, आगि लेन आई जो तिय । लागी नाहिं, बुझाय, भभकि भभकि बरि-बरि उठै ।।1।। तुरुक गुरुक भरिपूर, डूबि डूबि सुरगुरु… Read More »रहीम की रचनाएँ