श्यामसुन्दर घोष की रचनाएँ
ये दिन आए ये दिन आए । धूप करूँ नीलाम न कोई बोली बोले, आस-पास सूना-सूना सन्नाटा डोले, हवा हाँक दे, कोई नहीं तनिक पतियाए… Read More »श्यामसुन्दर घोष की रचनाएँ
ये दिन आए ये दिन आए । धूप करूँ नीलाम न कोई बोली बोले, आस-पास सूना-सूना सन्नाटा डोले, हवा हाँक दे, कोई नहीं तनिक पतियाए… Read More »श्यामसुन्दर घोष की रचनाएँ