अंसार कम्बरी की रचनाएँ
कलजुगी दोहे केवल परनिंदा सुने, नहीं सुने गुणगान। दीवारों के पास हैं, जाने कैसे कान ।। सूफी संत चले गए, सब जंगल की ओर। मंदिर… Read More »अंसार कम्बरी की रचनाएँ
कलजुगी दोहे केवल परनिंदा सुने, नहीं सुने गुणगान। दीवारों के पास हैं, जाने कैसे कान ।। सूफी संत चले गए, सब जंगल की ओर। मंदिर… Read More »अंसार कम्बरी की रचनाएँ