अज़ीज़ क़ैसी की रचनाएँ
अल्फ़-लैला की आख़िरी सुब्ह फ़साना कैसे बढ़े न कोई साहिर-ए-पज़मुर्दा सिन न सौदागर न चीन से कोई आए न बाख़्तर से कोई बलख़ के शहर… Read More »अज़ीज़ क़ैसी की रचनाएँ
अल्फ़-लैला की आख़िरी सुब्ह फ़साना कैसे बढ़े न कोई साहिर-ए-पज़मुर्दा सिन न सौदागर न चीन से कोई आए न बाख़्तर से कोई बलख़ के शहर… Read More »अज़ीज़ क़ैसी की रचनाएँ