अनामिका अनु की रचनाएँ
लोकतन्त्र खरगोश बाघों को बेचता था, फिर अपना पेट भरता था । बिके बाघ ख़रीदारों को खा गए, फिर बिकने बाज़ार में आ गए ।… Read More »अनामिका अनु की रचनाएँ
लोकतन्त्र खरगोश बाघों को बेचता था, फिर अपना पेट भरता था । बिके बाघ ख़रीदारों को खा गए, फिर बिकने बाज़ार में आ गए ।… Read More »अनामिका अनु की रचनाएँ