अशोक लव की रचनाएँ
कैसे- कैसे पल डगमगाते पग नन्हें शिशु तुतलाती ध्वनियाँ स्नेह भरी कल-कल बहती नदी अंतर्मन में समा-समा जाती निश्छल मुस्कानें! उफ़! खो गए तुतलाते स्वर… Read More »अशोक लव की रचनाएँ
कैसे- कैसे पल डगमगाते पग नन्हें शिशु तुतलाती ध्वनियाँ स्नेह भरी कल-कल बहती नदी अंतर्मन में समा-समा जाती निश्छल मुस्कानें! उफ़! खो गए तुतलाते स्वर… Read More »अशोक लव की रचनाएँ