अहमद कमाल ‘परवाज़ी’ की रचनाएँ
ये गर्म रात ये सेहरा निभा के चलना है ये गर्म रेत ये सहरा[1] निभा के चलना है सफ़र तवील[2] है पानी बचा के चलना है बस… Read More »अहमद कमाल ‘परवाज़ी’ की रचनाएँ
ये गर्म रात ये सेहरा निभा के चलना है ये गर्म रेत ये सहरा[1] निभा के चलना है सफ़र तवील[2] है पानी बचा के चलना है बस… Read More »अहमद कमाल ‘परवाज़ी’ की रचनाएँ