बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ की रचनाएँ
दुर्दशा दत्तापुर श्रीपति कृपा प्रभाव, सुखी बहु दिवस निरन्तर। निरत बिबिध व्यापार, होय गुरु काजनि तत्पर॥१॥ बहु नगरनि धन, जन कृत्रिम सोभा परिपूरित। बहु ग्रामनि… Read More »बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ की रचनाएँ
दुर्दशा दत्तापुर श्रीपति कृपा प्रभाव, सुखी बहु दिवस निरन्तर। निरत बिबिध व्यापार, होय गुरु काजनि तत्पर॥१॥ बहु नगरनि धन, जन कृत्रिम सोभा परिपूरित। बहु ग्रामनि… Read More »बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ की रचनाएँ