केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ की रचनाएँ
देवता की याचना इतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो। नीला-नीला विस्तार, हिलोरों में यों ही बहता हूँ सूनी-सूनी झंकार,… Read More »केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ की रचनाएँ
देवता की याचना इतना विस्तृत आकाश-अकेला मैं हूँ तुम अपने सपनों का अधिवास मुझे दो। नीला-नीला विस्तार, हिलोरों में यों ही बहता हूँ सूनी-सूनी झंकार,… Read More »केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ की रचनाएँ