मजाज़ लखनवी की रचनाएँ
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई, वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए। इस सई-ए-करम को क्या कहिए, बहला भी गए तड़पा भी गए।। हम अर्ज़-ए-वफ़ा… Read More »मजाज़ लखनवी की रचनाएँ
तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न हुई, वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए। इस सई-ए-करम को क्या कहिए, बहला भी गए तड़पा भी गए।। हम अर्ज़-ए-वफ़ा… Read More »मजाज़ लखनवी की रचनाएँ