मनीषा जैन की रचनाएँ
भेद रहा है चक्रव्यूह रोज वह ढ़ोता रहा दिनभर पीठ पर तारों के बड़ल जैसे कोल्हू का बैल होती रही छमाछम बारिश दिन भर टपकता… Read More »मनीषा जैन की रचनाएँ
भेद रहा है चक्रव्यूह रोज वह ढ़ोता रहा दिनभर पीठ पर तारों के बड़ल जैसे कोल्हू का बैल होती रही छमाछम बारिश दिन भर टपकता… Read More »मनीषा जैन की रचनाएँ