योगेन्द्र दत्त शर्मा की रचनाएँ
अब नहीं यह विलंबित अर्थच्युत स्वीकार राघव, अब नहीं। हिल गये मन के सभी आधार राघव, अब नहीं! ओ धरित्री मां! फटो, मुझको संभालो गोद… Read More »योगेन्द्र दत्त शर्मा की रचनाएँ
अब नहीं यह विलंबित अर्थच्युत स्वीकार राघव, अब नहीं। हिल गये मन के सभी आधार राघव, अब नहीं! ओ धरित्री मां! फटो, मुझको संभालो गोद… Read More »योगेन्द्र दत्त शर्मा की रचनाएँ